लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में 21 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हुआ। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 66 फीसदी वोटिंग हुई। सबसे ज्यादा 82 प्रतिशत वोट त्रिपुरा में डाले गए, जबकि बिहार में सबसे कम 49 प्रतिशत वोटिंग हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 102 सीटों पर कुल 69.96% मतदान हुआ था। इन सीटों में सबसे ज्यादा मतदान अरुणाचल प्रदेश की अरुणाचल पूर्व सीट पर हुआ था। वहीं, सबसे कम मतदान बिहार की नवादा सीट पर हुआ था। यहां के महज 49.73% मतदाताओं ने वोट डाला था।
राजस्थान में पिछली बार से 5% कम मतदान
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में शुक्रवार को राजस्थान की 12 सीटों पर मतदान हुआ। इस दौरान 57.87 फीसदी मतदान हुआ। इनमें 57.26 ईवीएम और 0.61 पोस्टल बैलट से मतदान हुआ। साल 2019 में इन सीटों पर 63.71 प्रतिशत मतदान हुआ था। ऐसे में इस बार 5.84 फीसदी मतदान कम हुआ।
शहरी लोगों में मतदान के प्रति उदासीनता
मतदान प्रतिशत में कमी की सबसे बड़ी वजह शहरी लोगों में मतदान के प्रति उदासीनता है। ऐसा तब होता है जब मतदाताओं का चुनावी प्रक्रिया से या राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से मोहभंग हो जाता है, या जब उन्हें नहीं लगता कि उनका वोट मायने रखेगा, या जब उन्हें अपने आसपास के मुद्दों की ज्यादा परवाह नहीं है। भारत के ज्यादातर बड़े शहरों, खासकर राजधानियों में यह देखने को मिलता है। शहरी क्षेत्रों के लोग, युवा मतदाता और प्रवासी एक बड़ा हिस्सा है।
प्रवासी कामगारों का बड़ा हिस्सा नहीं कर पाता वोट
भारत की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रवासी कामगारों का एक बड़ा तबका चुनावों में वोट नहीं डाल पाता। उनकी अपनी चुनौतियां हैं, जिससे निपटने और जूझने की कोशिश में प्रवासी कामगार ‘लोकतंत्र के महापर्व’ से वंचित रह जाते हैं। जिस शासन व्यवस्था के कारण मजदूरों को रोजी-रोटी के लिए अपना घर छोड़ना पड़ा हो, अगर वो उस व्यवस्था को पुष्ट करने या नकारने के लिए वोट डालना भी चाहें तो उन्हें अपने दफ्तर या फैक्ट्री से छुट्टी लेनी होगी। इससे उतने दिन की कमाई जाएगी। इसके अलावा आने-जाने का खर्च जुटाना। यही वो चुनौतियां हैं, जो प्रवासी कामगारों के एक बड़े हिस्से को मतदान से दूर कर रही है।
हीटवेव का प्रकोप
मतदान प्रतिशत कम होने का एक कारण गर्मी भी है। देश के कई इलाके इस वक्त हीटवेव से जूझ रहे हैं। भीषण गर्मी की वजह से लोगों में वोटिंग का उत्साह कम दिखा। कई लोग वोट करने पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंचे।
शादियों का सीजन
शादियों का सीजन भी मतदान प्रतिशत कम होने का बड़ा कारण रहा। शादियों का सीजन होने के चलते लोग कार्यक्रमों में उलझे रहे, जिससे मतदान केन्द्रों पर नहीं पहुंच सके। इससे भी मतदान प्रतिशत में भारी कमी देखी गई।