Saturday, November 16, 2024
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केरल में दो हाथियों ने एक-दूसरे पर किया हमला, मंदारकाडवु में अरट्टुपुझा पूरम अनुष्ठान के दौरान मची अफरा-तफरी

केरल: केरल के आराट्टुपुझा मंदिर में शुक्रवार को एक भयावह घटना घटी, जब दो हाथियों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिससे उपस्थित लोगों में दहशत फैल गई। दोनों हाथियों के एक दूसरे से भिड़ने का वीडियो भी आया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि पहले एक हाथी दूसरे हाथी पर हमला करता है। जिसके बाद दूसरी हाथी उस हाथी से भीड़ जाता है। दोनों हाथियों के भिडंत को देखकर वहां पर भगदड़ मच जाती है। लोग अपनी जान बचाने को लेकर इधर- उधर भागने लगते हैं।

त्रिशूर पूरम केरल का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इस दौरान आसपास के सभी मंदिरों में भव्य पूजा कराई जाती है। इसमें 50 से अधिक सजे-धजे हाथियों की धार्मिक यात्रा निकाली जाती है और पारंपरिक संगीत भी बजाए जाते हैं। बता दें यह त्योहार अपने विस्तृत आतिशबाजी प्रदर्शन के लिए भी प्रसिद्ध है।

बेहद प्राचीन है यह पर्व

त्रिशूर पूरम पर्व का इतिहास 200 साल से भी अधिक पुराना है। इसकी स्थापना 1790 से 1805 तक कोचीन साम्राज्य के शासक शक्तिन थंपुरन ने की थी। यह लगातार 8 दिनों तक चलता है। इसके पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसमें ऐसा बताया गया है कि जब भारी बारिश के कारण मंदिरों के एक समूह को लोकप्रिय अराट्टुपुझा पूरम में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तब उनकी शिकायतों को सुनने के बाद शक्तिन थंपुरन ने स्वयं का पर्व त्रिशूर पूरम शुरू करने का फैसला किया।

त्रिशूर पूरम का महत्व

त्रिशूर पूरम एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इस दौरान आसपास के सभी मंदिरों में भव्य पूजा कराई जाती है। इसमें 50 से अधिक सजे-धजे हाथियों की धार्मिक यात्रा निकाली जाती है और पारंपरिक संगीत भी बजाए जाते हैं। बता दें, यह त्योहार अपने विस्तृत आतिशबाजी प्रदर्शन के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसे वेदिकेट्टू के नाम से जाना जाता है।

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