Saturday, September 21, 2024
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केंद्र का Lateral Entry से सीधी भर्ती रोकने का आदेश, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC लिखा पत्र, बताई ये वजह

केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिए होने वाल भर्ती को लेकर बहुत बड़ा फैसला लिया है। लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ने के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। DoPT मंत्री ने UPSC प्रमुख को पत्र लिखकर नौकरशाही में लैटरल एंट्री के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के मंत्री ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के अनुसार, लैटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द करने के लिए UPSC के चेयरमैन को पत्र लिखा है। UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी कर केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर ‘लैटरल भर्ती के लिए प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों’ के लिए आवेदन मांगे थे। अब केंद्र ने UPSC चेयरमैन को नोटिफिकेशन रद्द करने को कहा है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गई है।

इसलिए लिया ये फैसला

कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है। इस पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था। प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता होनी चाहिए। लेटरल एंट्री वाले पदों की समीक्षा किए जाने की जरूरत है। समीक्षा के बाद इनमें सुधार किया जाए। ऐसे में 17 अगस्त को जारी लेटरल एंट्री वाले विज्ञापन को रद्द कर दें। यह करना सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण की दृष्टि से बेहतर होगा।

क्या है लैटरल एंट्री?

लेटरल एंट्री का मतलब बिना एग्जाम के सीधी भर्ती से है। मतलब, कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए रिक्रूट किए जाते हैं। लेटरल एंट्री के जरिए आने वाले कर्मचारी केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा होंगे, जिसमें पहले केवल ऑल इंडिया सर्विस/सेंट्रल सिविल सर्विस के कैरियर ब्यूरोक्रेट्स थे। उन्हें तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया जाएगा, जिसे कुल मिलाकर पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसमें आरक्षण के नियमों का भी फायदा नहीं मिलता है।

2017 में, नीति आयोग ने अपने थ्री-ईयर एक्शन एजेंडा और शासन पर सेक्टोरल ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज (SGoS) ने फरवरी में पेश की अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार में मिड और सीनियर मैनेजमेंट लेवल पर कर्मियों को शामिल करने की सिफारिश की थी।

2018 में हुई शुरूआत

सरकार के मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर्स और डिप्टी सेक्रेटरी की पोस्ट पर भर्ती लेटरल एंट्री से की जाती है। UPSC में लेटरल एंट्री की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। इसमें जॉइंट सेक्रेटरी लेवल की पोस्ट के लिए 6077 एप्लीकेशन आए। UPSC की सिलेक्शन प्रोसेस के बाद 2019 में अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में 9 नियुक्ति हुई।

राहुल ने कहा था- SC-ST और OBC का हक छीना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। UPSC में भर्तियों के नोटिफिकेशन के बाद 18 अगस्त को राहुल गांधी ने X पर लिखा था- नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का हक छीना जा रहा है।

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