Ashok Gehlot To Kota coaching owner: सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामलों पर चिंता जाहिर की. सीएम गहलोत ने कोचिंग संचालकों को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है मानो आईआईटी देश का खुदा बन गया हो.
सीएम गहलोत ने छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति 15 दिन के अंदर सीएम गहलोत को अपनी रिपोर्ट पेश करेंगी.
सीएम गहलोत ने महिलाओं और कोचिंग संचालकों के साथ संवादकरते हुए कोचिंग संचालकों को जमकर लताड़ लगाई. सीएम गहलोत ने कहा कि “आप 9वीं और 10वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को बुलाते हैं. नौवीं पास बच्चों का वहां स्कूल में एडमिशन दिखाते हैं, डमी कक्षाएं लगती है” इस तरह आप गुनाह कर रहे हैं. सीएम गहलोत ने कहा कि मैं कोटा में बच्चों को मरते हुए नहीं देख सकता, इसलिए सिस्टम में सुधार कीजीए.
सीएम गहलोत ने कोचिंग सचांलको की क्लास लेते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों में कक्षा 9 और 10 के छात्रों का नामांकन करने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है क्योंकि उन्हें बोर्ड परीक्षा भी देनी होती है. उन्होंने कहा, आप 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को बुलाते हैं. आप एक तरह से अपराध कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है मानो आईआईटी भगवान हो. कोचिंग में आते ही छात्रों का फर्जी स्कूलों में नामांकन करा दिया जाता है. यह माता-पिता की भी गलती है.
एलन से सवाल पूछते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि शहर में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले आपके कोचिंग संस्थान से ही क्यों आते है. जब उन्हें बताया गया कि इस साल कोटा में आत्महत्या से मरने वाले 21 छात्रों में से 14 इसी संस्थान से थे. सीएम को यह भी बताया गया कि एलन इंस्टीट्यूट में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स हैं.
संस्थान के एक प्रतिनिधि ने बैठक के दौरान बताया कि कोचिंग संस्थान कक्षा 9 या 10 के छात्रों को नहीं बुलाते हैं लेकिन शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए बेहतर विकल्प चाहते हैं. इस पर गहलोत ने कहा कि वह किसी खास संस्थान को निशाना नहीं बना रहे हैं, बल्कि यह जानना चाहते हैं कि संस्थान में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं क्यों होती हैं?