नई दिल्ली। लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा एवं पारित किए जाने के लिए पेश किया. देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले इस विधेयक को बुधवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी. संसद से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हो जाएगा। केंद्रीय न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया. नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है.
विधेयक को लागू करने के लिए परिसीमन की आवश्यकता
मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) से बढ़कर 181 हो जाएगी. इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लागू करने के लिए जनगणना और परिसीमन की आवश्यकता होगी. जैसे ही यह विधेयक पारित होगा तो फिर परिसीमन का काम निर्वाचन आयोग तय करेगा. मेघवाल के विधेयक पेश करने के बाद चर्चा आरंभ हुई. कांग्रेस की ओर से रंजीता रंजन ने पहली वक्ता के रूप में संबोधन आरंभ किया.
लोकसभा में 8 घंटे चली बिल पर बहस
लोकसभा ने यह विधेयक करीब आठ घंटे की चर्चा के बाद 2 के मुकाबले 454 वोट से अपनी स्वीकृति दी. निचले सदन में कांग्रेस, सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने विधेयक का समर्थन किया.हालांकि असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने विधेयक का विरोध किया. लोकसभा में ओवैसी समेत एआईएमआईएम के दो सदस्य हैं.