नई दिल्ली। आम चुनाव से पहले अमेरिका के कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अनुसंधान संगठन ओपन एआई ने कहा कि वह एआई का इस्तेमाल चुनावी अभियानों में नहीं करने देगा और भ्रामक डीपफेक और चैटबॉट के जरिये उम्मीदवारों के प्रतिरूपण को रोकने के लिए काम करना जारी रखेगा। एक ब्लॉग पोस्ट में सैम अल्टमैन के नेतृत्व वाली कंपनी ने कहा कि उसने आगामी चुनावों के दौरान ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया’ को कमजोर करने में चैटजीपीटी और डल-ई एआई जैसी एआई आधारित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को रोकने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए हैं।
ब्लॉग में कहा गया है, ‘‘हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में 2024 में चुनावों की तैयारी कर रहे हैं और ऐसे में हमारा दृष्टिकोण मतदान संबंधी सटीक जानकारी देने, तय नीतियों को लागू करने और पारदर्शिता में सुधार करते हुए अपने प्लेटफार्म की सुरक्षा को बनाए रखना है।’’ इस साल भारत के अलावा अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और ब्रिटेन में संसदीय चुनाव होने हैं।
ओपनएआई ने कहा,‘‘चुनावों की शुचिता की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हर कोने से सहयोग की आवश्यकता होती है, और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी प्रौद्योगिकी का उपयोग इस तरह से न किया जाए जो इस प्रक्रिया को कमजोर कर दे।’’ कंपनी ने कहा, ‘‘हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एआई प्रणाली का निर्माण, क्रियान्वयन और इस्तेमाल सुरक्षित हो।’’
प्रौद्योगिकी के दुरूपयोग को रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में जानकारी देते हुए ओपनएआई ने कहा कि वह ‘दुरूपयोग का पूर्वानुमान लगाने और उसे रोकने – जैसे कि भ्रामक ‘डीपफेक’ और ‘प्रभावित करने वाले अभियान’ या चैटबॉट द्वारा उम्मीदवारों के प्रतिरूपण को रोकने के लिए काम कर रहे हैं । उदाहरण के लिए डल-ई ने ऐसे आवेदनों को खारिज करने के लिए सुरक्षा मानक तय किए हैं जहां उम्मीदवारों सहित वास्तविक लोगों की छवि पैदा करने की अनुमति मांगी जाती है।
ओपनएआई ने कहा,‘‘ जब तक हम अधिक जानकारी नहीं जुटा लेते हैं, हम लोगों को राजनीतिक अभियान या लॉबिंग के लिए एप्लीकेशन तैयार करने की अनुमति नहीं देंगे।’’ इसके साथ ही यह ऐसे एप्लीकेशन को मंजूरी नहीं देता जो लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने से रोकते हैं।