Sonam Wangchuk : लेह। लद्दाख प्रशासन ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिए गए कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को फंसाने या गुप चुप तरीके से कार्रवाई के दावों को मंगलवार को खारिज कर दिया। प्रशासन ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई विश्वसनीय सूचनाओं और दस्तावेजों पर आधारित थी। प्रशासन ने अपील की कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए और विश्वास व्यक्त किया कि ‘‘हम सब मिलकर शांतिप्रिय लेह कस्बे में सामान्य स्थिति बहाल करेंगे और अपनी वार्ता प्रक्रिया जारी रखेंगे।
सोनम वांगचुक को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया
लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे वांगचुक को 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद कड़े रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था। इसके बाद केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता में रुकावट आ गई है क्योंकि कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के उस फैसले का समर्थन किया है जिसमें वांगचुक और अन्य की रिहाई तक वार्ता स्थगित करने का फैसला किया गया है।
सोनम वांगचुक पर रासुका लगाने की कोई जरूरत नहीं
वांगचुक और अन्य की रिहाई को छह अक्टूबर को होने वाली वार्ता को फिर से शुरू करने की प्रमुख शर्त बताते हुए दोनों प्रभावशाली संगठनों ने लेह में हुई पुलिस गोलीबारी की न्यायिक जांच की भी मांग की। इस घटना में चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। वांगचुक की पत्नी और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (एचआईएएल) की सह-संस्थापक गीतांजलि आंगमो ने आरोप लगाया है कि उनके पति को राष्ट्र-विरोधी साबित करने के लिए ‘‘फंसाया’’ जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि ‘‘सोनम वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने की कोई जरूरत नहीं है’’ और जोर देकर कहा कि अधिकारियों ने उन्हें आरोपों का विवरण देने वाले औपचारिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं।
मंगलवार रात जारी एक बयान में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने कहा, ‘‘लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन कुछ वर्गों द्वारा की गई प्रेस वार्ता और मीडिया में दिए गए बयानों की पृष्ठभूमि में कुछ मुद्दों को स्पष्ट करना चाहता है। बयान में कहा गया है, ‘‘मीडिया में सरकारी एजेंसियों द्वारा वांगचुक समेत कुछ लोगों को प्रताड़ित करने के निराधार आरोपों की खबरें आई हैं। इसमें किसी को फंसाने या गुप चुप कार्रवाई करने का कोई सवाल ही नहीं है।
प्रशासन ने कहा, एजेंसियों को प्रक्रिया को प्रभावित किए बिना निष्पक्ष रूप से अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। बयान में कहा गया है कि एचआईएएल द्वारा वित्तीय अनियमितताओं और विदेशी मुद्रा उल्लंघनों के मामले की जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही है। बयान के अनुसार, ‘‘प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत उपलब्ध हैं जो इस तरह की जांच के योग्य हैं।’’