Sunday, December 22, 2024
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Uttar Pradesh Saryu Express : महिला सिपाही पर जानलेवा करने वाले अनीस का एनकाउंटर

अयोध्या। अयोध्या में सरयू एक्सप्रेस ट्रेन के अंदर महिला हेड कॉन्स्टेबल से बर्बरता करने वाले अनीस को पुलिस और STF ने एनकाउंटर में मार गिराया है. वारदात में अनीस के अलावा उसके दो साथी आजाद और विशंभर दयाल भी शामिल थे. एनकाउंटर में अनीस के दो अन्य साथी भी घायल हुए है. दोनो घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

30 अगस्त को ट्रेन की सीट के नीचे महिला कॉन्स्टेबल लहूलुहान हालत में मिली थी. अभी भी लखनऊ के अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. महिला कॉन्स्टेबल संग हुई इस बर्बर वारदात ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया था. खुद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया था. गुरुवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने महिला कांस्टेबल पर जानलेवा हमला  के मामले में मुख्य आरोपी को शुक्रवार को एक मुठभेड़ में मार गिराया जबकि दो अन्य आरोपी घायल हो गए.

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सरयू एक्सप्रेस में महिला आरक्षी पर हमले की घटना का मुख्य आरोपी अनीश खान आज अयोध्या के पूरा कलंदर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में घायल हो गया और उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां बाद में उसने दम तोड़ दिया।’’ कुमार ने कहा, ‘‘उसके दो अन्य साथी आजाद और विशंभर दयाल दुबे भी घायल हो गए तथा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।’’ उन्होंने बताया कि आजाद दसलावन का ही रहने वाला है जबकि दुबे सुलतानपुर जिले के कूरेभार का रहने वाला है।

मुठभेड़ में पुलिस कर्मी भी हुए घायल

पुलिस ने बताया कि इस मुठभेड़ में पूरा कलंदर के थानाध्यक्ष रतन शर्मा भी घायल हो गए, जिनका इलाज जिला चिकित्सालय में चल रहा है. गिरफ्तार किए गए दोनों अभियुक्तों ने अनीश खान के साथ मिलकर महिला आरक्षी पर हमले की घटना में शामिल होने की बात स्वीकार की है. महिला कांस्टेबल को 30 अगस्त को सरयू एक्सप्रेस के एक डिब्बे के अंदर ‘खून से लथपथ’ पाया गया था और उसके चेहरे पर चोटों के कई निशान थे. बाद में उसे लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत स्थिर बताई गई है. घटना के संबंध में उसी दिन राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी), अयोध्या में मामला दर्ज किया गया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर द्वारा घटना का स्वत: संज्ञान लेने के बाद मामले में आरोपियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने का जिम्मा स्थानीय पुलिस और जीआरपी के साथ विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंपा गया था.

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