Monday, November 10, 2025
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Russia-Ukraine War : रूस के कब्जे से मुक्ति के तीन साल बाद अलग तरह की चुनौती का सामना कर रहा यूक्रेन का खेरसॉन शहर

यूक्रेन के खेरसॉन शहर की ज्यादातर सड़कें अब सुनसान हैं। नौ महीने तक चले रूसी कब्जे के अंत और आजादी के तीन साल बाद, कभी खुशी से झूम उठने वाले शहर में फिलहाल खामोशी पसरी हुई है।

Russia-Ukraine War : खेरसॉन। यूक्रेन के खेरसॉन शहर की ज्यादातर सड़कें अब सुनसान हैं। नौ महीने तक चले रूसी कब्जे के अंत और आजादी के तीन साल बाद, कभी खुशी से झूम उठने वाले शहर में फिलहाल खामोशी पसरी हुई है। 11 नवंबर 2022 को, दक्षिण यूक्रेन के इस बंदरगाह शहर के मुख्य चौक पर भीड़ उमड़ पड़ी थी — लोग नीले और पीले झंडे लहरा रहे थे, उन सैनिकों को गले लगा रहे थे जिन्होंने महीनों के रूसी कब्जे के बाद उन्हें आज़ाद कराया था। उन्हें लगा था कि अब सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है। लेकिन युद्ध ने अपना रूप बदल लिया। द्नीप्रो नदी के उस पार से रूसी सैनिक लगातार हमले करते रहते हैं। अब ड्रोन शहरों पर मंडराते रहते हैं।

हॉलीवुड एक्ट्रेस ने बढ़ाया लोगों का मनोबल

फिर भी, जो लोग यहां टिके हुए हैं, वे कहते हैं कि सुनसान शहर में जीना भी रूस के कब्जे में रहने से बेहतर है। हाल ही में हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलिना जोली की यात्रा ने शहर के निवासियों के मनोबल को बढ़ाया। तस्वीरों में अमेरिकी अभिनेत्री को बेसमेंट में और संकरी जालियों से ढकी सड़कों पर चलते देखा गया — ये जाल लोगों को ड्रोन से बचाने के लिए लगाए गए हैं। कभी लगभग 2,80,000 की आबादी वाला खेरसॉन अब पहले की तरह खुशहाल नहीं है। यहां हर दिन धमाकों की आवाजें गूंजती हैं।

खेरसॉन में अब सिर्फ बम धमाकों की आवाजें गूंजती है

ओल्हा कोमानित्स्का (55) का छोटा फूलों का स्टॉल खेरसॉन के बमों से तबाह हो चुके इलाके में अलग सा नजर आता है। कभी लोगों की भीड़ से गुलजार रहने वाले स्टॉल पर अब मुश्किल से कुछ ही ग्राहक आते हैं। वह कहती हैं, “अब शायद ही कोई फूल खरीदता है। हम बस किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। करीब 30 साल तक कोमानित्स्का और उनके पति ने खेरसॉन के ग्रामीण इलाक़े में फूल उगाए। अब उनके ग्रीनहाउस नष्ट हो चुके हैं, और वह छोटा-सा स्टॉल ही उनकी मेहनत की आखिरी निशानी बचा है। कोमानित्स्का अपने पति के शोक में सिर पर काला दुपट्टा बांधती हैं। उनका निधन दिल की बीमारी से हुआ, लेकिन उनका मानना है कि युद्ध की वजह से ही उनकी पति की मौत हुई। पति की बात करते हुए उनकी आंखें नम हो जाती हैं।

मैक्स (28) ने सुरक्षा कारणों से अपना पूरा नाम नहीं बताया। वह 310वीं मरीन इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर बटालियन में सेवाएं देते हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्र में ढाई वर्ष तक काम किया है। यह क्षेत्र दिन-ब-दिन अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। उनका फ्रंट-लाइन पोस्ट किसी प्रोग्रामर के कार्यस्थल जैसा दिखता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर नक्शे और डेटा फ़ीड दिख रहे होते हैं और पड़ोसी यूनिटों की आवाजें कमरे में गूंजती रहती हैं। मैक्स कहते हैं कि उनका काम लक्ष्यों का पता लगाना और यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने मिशन में असफल रहें — चाहे वे “नागरिकों, बुनियादी ढांचे, वाहनों या यहां तक कि मानवीय सहायता काफिलों को निशाना बनने वाले ड्रोन” ही क्यों न हों।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
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