Tuesday, December 30, 2025
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Parliament Vande Mataram : अमित शाह का कांग्रेस पर तंज, कहा- वंदे मातरम् के दो टुकड़े न करते तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता

गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि वंदे मातरम् के दो हिस्से किए जाने से तुष्टिकरण बढ़ा और वही आगे देश के विभाजन का कारण बना। उन्होंने राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर इसके महत्व, त्याग और राष्ट्र चेतना में इसकी भूमिका पर जोर दिया। शाह ने कांग्रेस पर इसके महिमामंडन का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि संसद चले तो हर मुद्दे पर चर्चा संभव है।

Parliament Vande Mataram : नई दिल्ली। राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दावा किया कि यदि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के दो टुकड़े न किए जाते तो देश का विभाजन भी नहीं होता। शाह ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष होने पर उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए उम्मीद जतायी कि इस चर्चा के माध्यम से देश के बच्चे, युवा और आने वाली पीढ़ी यह बात समझ सकेंगे कि वंदे मातरम् का देश को स्वतंत्रता दिलाने में क्या योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में इस विषय पर कुछ लोगों ने यह प्रश्न उठाया था कि आज वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों होनी चाहिए। शाह ने कहा कि यह अमर कृति ‘‘भारत माता के प्रति समर्पण, भक्ति और कर्तव्य के भाव जागृत करने वाली कृति है।

गृह मंत्री ने कहा कि जिन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि आज इस पर चर्चा क्यों की जा रही है, उन्हें अपनी समझ पर नये सिरे से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस चर्चा को पश्चिम बंगाल में होने जा रहे चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग राष्ट्रीय गीत के महिमामंडन को बंगाल चुनाव से जोड़कर कम करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम् की 1937 में स्वर्ण जयंती हुई तो जवाहरलाल नेहरू ने उसके ‘दो टुकड़े कर उसे दो अंतरों तक सीमित करने का काम किया।’ उन्होंने कहा कि इसी समय तुष्टिकरण की शुरुआत हुई जिसकी परिणति बाद में जाकर देश के विभाजन के रूप में हुई।

शाह ने कहा, मेरे जैसे कई लोगों का मानना है, भले ही यह बात कांग्रेस को पसंद आए या नहीं आये, वंदे मातरम् के दो टुकड़े तुष्टिकरण की नीति के तहत नहीं किए जाते तो देश का बंटवारा नहीं होता। देश आज पूरा होता। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् लिखे जाने के जब 100 साल पूरे हुए तो उस समय देश में आपातकाल लगा दिया गया था और इसे बोलने वालों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जेल में डाल दिया था। गृह मंत्री ने कहा कि जब वंदे मातरम् लिखे जाने के 150 वर्ष होने पर लोकसभा में चर्चा शुरू हुई तो जिस कांग्रेस के अधिवेशन की शुरुआत में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रीय गीत स्वयं गाते थे, उसी कांग्रेस से जुड़े गांधी परिवार के दोनों सदस्य लोकसभा में इसकी चर्चा के दौरान नदारद थे। उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम् का विरोध जवाहरलाल नेहरू से लेकर आज के कांग्रेस के नेतृत्व तक, कांग्रेस के खून में बसा है।’’

शाह ने प्रियंका गांधी का नाम लिये बिना कहा कि लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस की एक प्रमुख नेत्री ने कहा था कि आज वंदे मातरम् पर चर्चा कराने की कोई जरूरत नहीं है। लोकसभा में सोमवार को इस विषय पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इस मुद्दे पर इस समय चर्चा कराये जाने की जरूरत पर प्रश्न उठाये थे। शाह ने कहा कि यह बात अवश्य है कि बंकिमचंद्र चटर्जी ने इस रचना को बंगाल में रचा था किंतु यह रचना न केवल पूरे देश में बल्कि दुनिया भर में आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों के बीच फैल गयी थी। उन्होंने कहा कि आज भी कोई व्यक्ति यदि सीमा पर देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देता है तो यही नारा लगाता है। उन्होंने कहा कि आज भी जब कोई पुलिसकर्मी देश के लिए अपनी जान देता है तो प्राण देते समय उसके मुंह में एक ही बात होती है, ‘वंदे मातरम्।’ गृह मंत्री ने कहा कि कल लोकसभा में कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने वंदे मातरम् पर चर्चा को एक राजनीतिक हथकंडा और मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार बताया था। शाह ने कहा, हम मुद्दों पर चर्चा करने से नहीं डरते। संसद का बहिष्कार हम नहीं करते। संसद यदि चलने दें तो सब मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास डरने या छिपाने जैसा कुछ भी नहीं है और यदि संसद चले तो हर मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम् पर चर्चा को टालने की यह मानसिकता नयी नहीं है।’’

गृह मंत्री ने कहा कि इस संसद में राष्ट्र गीत के गान को बंद करवा दिया गया। उन्होंने कहा कि 1992 में भाजपा सांसद राम नाईक ने संसद में राष्ट्र गीत को गाने का मुद्दा अल्पकालिक चर्चा के माध्यम से उठाया था तथा तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा था कि इस महान सदन में राष्ट्र गीत का गान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिर 1992 में सर्वानुमति से लोकसभा ने राष्ट्र गीत के गान की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि उस समय ‘इंडी’ गठबंधन के कई नेताओं ने मना कर दिया था कि वे राष्ट्रगीत नहीं गायेंगे। शाह ने कहा कि उनके पास ऐसे नेताओं की सूची है किंतु वह तकनीकी कारणों के चलते उन नेताओं के नाम नहीं बता सकते। शाह ने कहा कि उन्होंने अपनी आंखों से देखा है कि जब संसद में राष्ट्रगीत होने वाला होता है तो उससे ठीक पहले कई सदस्य सदन से बाहर चले जाते हैं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा का एक भी सदस्य राष्ट्रगीत के समय सम्मान के साथ खड़ा न हो, यह हो ही नहीं सकता। इस पर कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि गृह मंत्री को यह बताना चाहिए कि राष्ट्र गान के समय कौन सा सदस्य खड़ा नहीं हुआ। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि वह शाम तक इस सदन के पटल पर कांग्रेस सदस्यों की सूची रख देंगे जो राष्ट्रगान से पहले सदन से बाहर चले गये। उन्होंने राष्ट्रगीत के 150 वर्ष होने के अवसर पर सरकार द्वारा देश भर में किए जाने वाले विभिन्न आयोजनों और कार्यक्रमों के बारे में सदन को जानकारी दी।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
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