Monday, November 24, 2025
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सशस्त्र बलों की ताकत तालमेल में निहित है, ऑपरेशन सिंदूर इसका उपयुक्त उदाहरण : जनरल उपेन्द्र द्विवेदी

थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने आईएनएस माहे के जलावतरण कार्यक्रम में कहा कि सशस्त्र बलों की असली ताकत उनके आपसी तालमेल में है और ऑपरेशन सिंदूर इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने बताया कि थल सेना, नौसेना और वायुसेना मिलकर भारत की सामरिक त्रिमूर्ति बनाते हैं और आधुनिक युद्ध बहु-क्षेत्रीय व हाइब्रिड होंगे। कार्यक्रम में पहली बार सेना प्रमुख की मौजूदगी रही और नौसैनिक कर्मियों को COAS प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया।

मुंबई। थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने सोमवार को कहा कि सशस्त्र बलों की ताकत तालमेल में निहित है और ऑपरेशन सिंदूर इसका उपयुक्त उदाहरण है।वह मुंबई में युद्धपोत आईएनएस माहे के जलावतरण के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह माहे श्रेणी के पनडुब्बी-रोधी उथले जल का प्रथम युद्धपोत है।

थल, नौसेना और वायु सेना भारत की सामरिक शक्ति की त्रिमूर्ति : उपेन्द्र द्विवेदी

जनरल द्विवेदी ने कहा, हमारे सशस्त्र बलों की ताकत तालमेल में निहित है। उन्होंने कहा कि समुद्र, भूमि और आकाश राष्ट्रीय सुरक्षा की एक सतत श्रृंखला बनाते हैं और थल सेना, नौसेना और वायु सेना मिलकर भारत की सामरिक शक्ति की त्रिमूर्ति हैं। उन्होंने कहा कि बहु-क्षेत्रीय परिचालन के युग में समुद्र की गहराई से लेकर ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों तक एक साथ मिलकर कार्य करने की देश की क्षमता भारतीय गणराज्य के सुरक्षा प्रभाव को निर्धारित करेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल लद्दाख से लेकर हिंद महासागर तक सूचना युद्ध से लेकर संयुक्त रसद तक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं।

भारतीय सेना ने परिवर्तन के व्यापक ढांचे में कई पहल शुरू की : जनरल द्विवेदी

जनरल द्विवेदी ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर सशस्त्र बलों के तालमेल का एक उपयुक्त उदाहरण था। भारत ने अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई की थी। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना ने परिवर्तन के व्यापक ढांचे के तहत कई पहल शुरू की हैं, जिनमें संयुक्तता और एकीकरण महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने यह माना है कि आधुनिक संघर्ष बहु-क्षेत्रीय, ‘हाइब्रिड’ होंगे और इसके लिए राष्ट्रीय शक्ति की एकजुटता आवश्यक होगी।

एक अधिकारी ने कहा कि यह पहला मौका था जब किसी नौसैन्य पोत के जलावतरण समारोह में सेना प्रमुख उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि आईएनएस माहे के बेड़े में शामिल होने के बाद जनरल द्विवेदी ने उन नौसेना कर्मियों को ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ’ (सीओएएस) प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया, जिन्होंने जहाज़ के जलावतरण में प्रमुख भूमिका निभाई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक असाधारण घटना है लेकिन आने वाले समय में तीनों सेनाओं के बीच बढ़ रहे तालमेल के साथ यह अधिक सामान्य होती जाएगी।

भारतीय नौसेना पड़ोसी क्षेत्रों के साथ-साथ वैश्विक परिवेश में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जहां सेना के प्रयास ‘सॉफ्ट’ और ‘हार्ड’ कूटनीति दोनों में सहायक और पूरक भूमिका निभा सकते हैं। जनरल द्विवेदी ने इसे बुद्धिमत्तापूर्ण कूटनीति बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और भारतीय नौसेना ने हमेशा विश्वभर में मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है।

Mukesh Kumar
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