Mohan Bhagwat : नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद विभिन्न देशों द्वारा अपनाए गए रुख से भारत के साथ उनकी मित्रता के स्वरूप और प्रगाढ़ता का पता चला। वह आरएसएस की वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित कर रहे थे। यह रैली ऐसे समय में हुई जब आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। आरएसएस की स्थापना 1925 में दशहरा (27 सितंबर) के दिन नागपुर में महाराष्ट्र के एक चिकित्सक केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।
हमारे दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और आगे भी बनाए रखेंगे : भागवत
भागवत ने कहा, हमारे दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और आगे भी बनाए रखेंगे, लेकिन जब बात हमारी सुरक्षा की आती है तो हमें ज़्यादा सावधान, ज़्यादा सतर्क और मजबूत होने की जरूरत है। पहलगाम हमले के बाद विभिन्न देशों के रुख से यह भी पता चला कि उनमें से कौन हमारे मित्र हैं और किस हद तक। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवादियों ने सीमा पार कर जम्मू कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर 26 भारतीयों की हत्या कर दी, जिस पर भारत ने कड़ा जवाब दिया।
#WATCH | During the centenary celebrations of the Rashtriya Swayamsewak Sangh, Sarsanghachalak Mohan Bhagwat says, "… Terrorists from across the border killed 26 Indians after asking their religion. The nation was mourning and angry about the terror attack. With complete… pic.twitter.com/24kaq7I6gf
— ANI (@ANI) October 2, 2025
हमारी सरकार ने पूरी तैयारी की और इसका कड़ा जवाब दिया : भागवत
संघ प्रमुख ने कहा, इस हमले से देश में भारी पीड़ा और आक्रोश फैला। हमारी सरकार ने पूरी तैयारी की और इसका कड़ा जवाब दिया। इसके बाद नेतृत्व का दृढ़ संकल्प, हमारे सशस्त्र बलों का पराक्रम और समाज की एकता स्पष्ट रूप से दिखाई दी। उन्होंने कहा कि चरमपंथी तत्वों को सरकार की ओर से कार्रवाई का सामना करना पड़ा है, जबकि समाज ने भी उनके ‘‘खोखलेपन’’ को पहचानकर उनसे दूरी बना ली है। उन्होंने कहा, उन्हें (चरमपंथियों को) नियंत्रित किया जाएगा। उस क्षेत्र में एक बड़ी बाधा अब दूर हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय, विकास, सद्भावना, संवेदनशीलता और मजबूती सुनिश्चित करने वाली योजनाओं की कमी अक्सर चरमपंथी ताकतों के उदय का कारण बनती है।
भागवत ने कहा, व्यवस्था की सुस्ती से परेशान लोग ऐसे चरमपंथी तत्वों से समर्थन लेने की कोशिश करते हैं। इसे रोकने के लिए सरकार और समाज को मिलकर ऐसी पहल करनी चाहिए जिससे लोगों का व्यवस्था में विश्वास बढ़े। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।