Wednesday, November 26, 2025
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Bengal SIR : ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर लगाया बड़ा आरोप, कहा- एसआईआर तो बहाना है इनकी असली मंशा एनआरसी है

ममता बनर्जी ने संविधान दिवस पर कहा कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की असली मंशा एनआरसी लागू करना है और आजादी के दशकों बाद भी नागरिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद पर खतरे का आरोप लगाते हुए संविधान को राष्ट्र की रीढ़ बताया।

Bengal SIR : कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दावा किया कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पीछे असली मंशा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) है। संविधान दिवस के अवसर पर रेड रोड स्थित बी. आर. आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में बनर्जी ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाया जा रहा है। इससे पहले, उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि जब लोकतंत्र दांव पर हो, धर्मनिरपेक्षता ‘‘खतरे में हो’’ और संघवाद को ‘‘ध्वस्त किया जा रहा हो’’, तो लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए।

एसआईआर के पीछे असली मंशा एनआरसी : ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने कहा कि संविधान राष्ट्र की रीढ़ है, जो भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की विविधता को कुशलतापूर्वक एक साथ पिरोता है।इ उन्होंने कहा, आज, इस संविधान दिवस पर मैं हमारे महान संविधान और भारत में हमें जोड़ने वाले महान दस्तावेज के प्रति गहरा सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। मैं आज हमारे संविधान के दूरदर्शी निर्माताओं विशेष रूप से इसके प्रमुख वास्तुकार डॉ. बी.आर. आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।

बनर्जी ने संविधान सभा में रहे बंगाल के सदस्यों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने ‘‘संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, मेरा मानना ​​है कि हमारा संविधान हमारे राष्ट्र की रीढ़ है, जो हमारी संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की अपार विविधता को कुशलतापूर्वक एक एकीकृत, संघीय ढांचे में पिरोता है। इस पवित्र दिन पर हम अपने संविधान में निहित मूल लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करते हैं और उन पवित्र सिद्धांतों की सतर्कतापूर्वक रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं और बनाए रखते हैं।

उन्होंने कहा, अब जब लोकतंत्र दांव पर है, जब धर्मनिरपेक्षता खतरे में है, जब संघवाद को ध्वस्त किया जा रहा है, ऐसे महत्वपूर्ण समय में हमें अपने संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए। संविधान को अंगीकार किए जाने के उपलक्ष्य में वर्ष 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया था। संविधान के कुछ प्रावधान तुरंत लागू हो गए थे तथा शेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने पर लागू हुए थे।

Mukesh Kumar
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