बिलासपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान सभा में रिमोट कंट्रोल दिखाते हुए कहा कि जब भी उनकी पार्टी इसे दबाती है तब गरीबों और जरूरतमंद लोगों को फायदा होता है, लेकिन जब भाजपा ऐसा करती है तब अडानी को बंदरगाह, रेलवे का ठेका और हवाई अड्डे मिल जाते हैं। राज्य के बिलासपुर जिले के परसदा गांव में आवास न्याय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जातीय जनगणना से क्यों डरते हैं?
सम्मेलन में गांधी ने भूपेश बघेल सरकार की ग्रामीण आवास न्याय योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेघरों और कच्चे घरों वाले परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए गांधी ने अपने हाथ में एक रिमोट कंट्रोल दिखाया और कहा आज मैंने रिमोट का बटन दबाया और हजारों करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ के लोगों के खाते में चले गए। आज शुरू की गई आवास योजना का लाभ उन लाभार्थियों को भी मिलेगा जो केंद्रीय योजना (प्रधानमंत्री आवास योजना) के तहत सहायता पाने के हकदार थे लेकिन उन्हें नहीं मिला। उन्होंने कहा कि राज्य के बार-बार अनुरोध के बावजूद केंद्र ने पैसा नहीं दिया और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में विफल रहा।
गांधी ने कहा हम कैमरे के सामने रिमोट कंट्रोल दबाते हैं। भाजपा भी रिमोट कंट्रोल दबाती है लेकिन छुपकर। जब भाजपा रिमोट कंट्रोल दबाती है तब अडानी को मुंबई के हवाई अड्डे और रेलवे के ठेके मिल जाते हैं। दो रिमोट कंट्रोल हैं। जब हम रिमोट दबाते हैं, तो किसानों को न्याय योजना के माध्यम से उनके खातों में पैसा मिलता है और (छत्तीसगढ़ में) अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुलते हैं, लेकिन जब भाजपा रिमोट दबाती है, तो सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण हो जाता है और जल-जंगल-जमीन अडानी के पास चली जाती है। गांधी ने कहा कि जब उन्होंने संसद में प्रधानमंत्री मोदी के अडानी के साथ संबंधों के बारे में सवाल पूछा तो उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उन पर जातीय जनगणना से डरने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने जातीय जनगणना कराई थी जिसमें देश की हर जाति की आबादी का रिकॉर्ड है। भारत सरकार के पास यह रिपोर्ट है लेकिन मोदी इसे लोगों के सामने नहीं लाना चाहते हैं।
राहुल ने कहा सरकार विधायक और सांसद नहीं बल्कि सचिव और कैबिनेट सचिव चलाते हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में 90 सचिवों में से केवल 3 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं। वे 3 लोग देश के बजट का केवल 5 प्रतिशत नियंत्रित करते हैं। क्या भारत में केवल 5 प्रतिशत ओबीसी आबादी है? जातीय जनगणना के पास इसका जवाब है। यदि हमें ओबीसी, दलित, आदिवासी और महिलाओं को भागीदारी देनी है तो जातीय जनगणना करानी होगी। मोदी जातीय जनगणना नहीं कराएंगे, तो यदि हम सत्ता में आए तो हमारा पहला कदम जातीय जनगणना कराना और ओबीसी की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा।