नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि जिन लोकसेवकों का दिल गरीबों और वंचितों के लिए धड़कता है, वे ही सच्चे लोकसेवक होते हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों का उत्थान करना उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
मुर्मू ने कहा आपको फाइल से फील्ड और फील्ड से फाइल के बीच के संबंध को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इस जन-केंद्रित सतर्कता और संवेदनशीलता से आप फाइलों के साथ कहीं अधिक सार्थक तरीके से जुड़ पाएंगे। राष्ट्रपति ने अधिकारियों से कहा कि वे हमेशा उन लोगों के बारे में सोचें जो उन फाइलों से प्रभावित होंगे जिन पर आप काम कर रहे हैं। साल 2021 बैच के 182 आईएएस अधिकारियों के एक समूह ने यहां राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में मुर्मू से मुलाकात की। ये अधिकारी वर्तमान में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में सहायक सचिवों के रूप में तैनात हैं। उन्होंने कहा मैंने पिछड़े इलाकों में रहने वाले वंचित वर्ग के लोगों की कठिनाइयों और समस्याओं को करीब से देखा है। मैंने कुछ संवेदनशील लोक सेवकों को भी देखा है जिन्होंने ऐसे लोगों की मदद के लिए अतिरिक्त प्रयास किए।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक दयालु लोक सेवक वह होता है जिसका दिल गरीबों और वंचितों के लिए धड़कता है और यही बात उसे केवल करियर नौकरशाह से अलग बनाती है। एक समावेशी, प्रगतिशील और संवेदनशील समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को अधिक स्थान देता है। मुर्मू ने कहा देश महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व में विकास की राह पर है। मुझे बहुत खुशी है कि ऐतिहासिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है। महिलाएं रूढ़िवादिता की दीवारों को तोड़ रही हैं। वे वृद्धि और विकास के सभी पहलुओं में तेजी से बड़ी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने पिछले 4 वर्षों में महिला आईएएस अधिकारियों के प्रतिशत में वृद्धि पर खुशी व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने कहा मुझे बताया गया है कि 2019 से 2022 के बैच में महिला आईएएस अधिकारियों का प्रतिशत 28 फीसदी से 34 प्रतिशत के बीच था। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि 2023 बैच में महिला आईएएस अधिकारियों का प्रतिशत 42 फीसदी तक पहुंच गया है। इसके अलावा शीर्ष 25 रैंक में से 14 स्थानों पर महिलाओं का कब्जा है। ये सकारात्मक बदलाव है। आप सभी को इस प्रवृत्ति को और मजबूत करना होगा और हमारे समाज को अधिक से अधिक समावेशी बनाना होगा। मुर्मू ने अधिकारियों से कहा कि उनकी यह सेवा, अधिकार, भूमिका और जिम्मेदारी के मामले में किसी भी अन्य सेवाओं से भिन्न है। दरअसल यह सेवा नहीं, मिशन है। यह भारत और उसके लोगों को सुशासन के ढांचे के तहत आगे ले जाने का मिशन है। देश और उसके लोगों की सेवा करना आपकी नियति है। भारत को एक समावेशी और विकसित राष्ट्र बनाना आपका सामूहिक लक्ष्य है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वे (अफसर) भाग्यशाली हैं कि उनका करियर करीब करीब अमृत काल के साथ-साथ समाप्त होगा। अमृत काल 2047 तक का दौर है जब भारत की स्वतंत्रता को 100 साल हो जाएंगे। इस अमृत काल को हर भारतीय के लिए कर्तव्य काल के रूप में वर्णित किया जा रहा है और आपके पास 2047 के विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का बड़ा अवसर है। मुर्मू ने कहा कि अधिकारी अपनी प्रतिबद्धता और रचनात्मकता के माध्यम से देश को बदलने में प्रभावी परिवर्तन-एजेंट बन सकते हैं।