Saturday, November 16, 2024
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जिसने बदल दी भारत की तकदीर और तकबीर,चायवाले से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर, पीएम मोदी के जन्मदिन पर जानिए उनका सियासी सफर

जयपुर। साल 1950 में आज ही के दिन गुजरात के वडनगर के एक घर में एक बच्चे ने जन्म लिया. इस बच्चे को जन्म देने वाले पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी और हीराबेन ने भी कभी नहीं सोचा था कि यह किलकारी एक दिन भारत के आवाम की आवाज बन जाएगी. देश में कामयाबी की नई इबारत लिखने के साथ-साथ इस आवाज ने पूरे विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ रखी हैं. यह किलकारी किसी और की नहीं बल्कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी. पीएम मोदी आज अपनी 73 वां जन्मदिवस मना रहे हैं. हालाकिं इस जन्मदिन पर उनकी मां इस दुनिया में नहीं है इसी वर्ष पीएम मोदी की मां हीराबेन मोदी का स्वर्गवास हो गया था.

आसान नहीं था साधारण परिवार से प्रधानमंत्री तक का सफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का जन्म एक साधार परिवार में हुआ था. पीएम मोदी के पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी एक चाय की दुकान लगाते थे. पीएम मोदी ने पहले गुजरात का बागडोर अपने हाथ में ली. उसके बाद 2014 में पीएम मोदी ने देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर दुनिया भर में भारत का जलवा दिखाया. अपने फैसलों और रणनीतियों से जादू बिखेरने वाले नरेंद्र मोदी कभी साधु बनना चाहते थे. एक समय ऐसा भी था जब पीएम मोदी ने चाय की दुकान लगाई थी. पीएम मोदी के जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव आए लेकिन पीएम मोदी ने बिना घबराए हुए हमेशा जज्बे के साथ आगे चलते रहे.

1967 में RSS में हुए शामिल

पीएम मोदी बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वडनगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य स्कूल में पढ़ने को दौरान नरेंद्र मोदी नाटकों से लेकर वाद विवाद की कई प्रतियोगिता में हिस्सा लेते थे. नरेंद्र मोदी ने स्नातक की पढ़ाई करने के बाद 17 साल की उम्र में RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की) के सदस्य बने. वर्ष 1974 में पीएम मोदी नव निर्माण आंदोलन से जुड़े. नरेंद्र मोदी के राजनीतिक सफर की शुरुआत संघ से जुड़ने के बाद ही हुई. नरेंद्र मोदी 1980 के दशक में गुजरात भाजपा ईकाई में शामिल होने के बाद पार्टी में महासचिव, प्रभारी जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहें.

भारतीय सेना का हिस्सा बनना था सपना

यू तों नरेंद्र मोदी के सफर के बारे में इतिहास में कई तरह की कहानियां कही जाती है लेकिन बताया जाता है कि नरेंद्र मोदी के पिता वडनगर रेलवे स्टेशन पर एक चाय की दुकान चलाते थे.  नरेंद्र मोदी भी स्कूल के बाद अपने पिता की मदद करने दुकान पर चले जाते थे. वर्ष 1965 में भारत-पाक के बीच युद्ध हुआ. इस दौरान रेल्वे स्टेशन से गुजर रहे भारतीय सैनिकों को नरेंद्र मोदी चाय पिलाते थे. बस यहीं से नरेंद्र मोदी ने भारतीयसेना में जाने का सपना बना लिया था. नरेंद्र मोदी शुरु से ही धार्मिक प्रवति के हैं. बचपन से ही नरेंद्र मोदी को साधु संतों का सानिध्य हमेशा अच्छा लगता था नरेंद्र मोदी खुद को एक समय संन्यास की ओर ले जाना चाहते थे. इसके लिए नरेंद्र मोदी हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान घर से भाग गए थे.  नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर घूमते रहे और आखिर में हिमालय पहुंचे जहां वह कई महीनों तक साधुओं के साथ घूमते रहे.

2014 में संभाली देश की बागडोर

2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा समर्थित NDA की और ने नरेंद्र मोदी को पीएम का चेहरा बनाया गया. इस चुनाव भारतीय जनता पार्टी को नरेंद्र मोदी के चहरे पर 282 सीटें मिली. 2014 में जीत के बाद 2019 में भी नरेंद्र मोदी का जलवा बरकरार रहा . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री है, जिन्होंने लालकिले के प्राचीर से लगातार देश को 9 बार संबोधित किया है और आज भी मोदी को लेकर देश और दुनिया में दीवानगी सिर चढ़कर बोलती है और उनकी एक झलक पाने के लिए लोगों में दीवानगी देखी जाती है.

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