Wednesday, September 17, 2025
HomePush NotificationMalegaon Blast Case : उच्च न्यायालय ने आरोपियों को बरी किए जाने...

Malegaon Blast Case : उच्च न्यायालय ने आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित की

Malegaon Blast Case : मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में पीड़ितों के अपीलकर्ता परिजनों के बारे में अधूरी जानकारी दिए जाने के कारण सात आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई बुधवार को स्थगित कर दी। इस मामले में बरी किए गए सात आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं। इससे पहले, मंगलवार को उच्च न्यायालय ने कहा था कि विस्फोट मामले में बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने ‘‘का रास्ता सभी के लिए नहीं खुला है’’। उसने पूछा कि क्या पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से मुकदमे में गवाह के तौर पर पूछताछ की गई थी।

बुधवार को, अपीलकर्ताओं के वकील ने विवरण का एक चार्ट पेश किया, लेकिन मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने कहा कि यह अधूरा है। परिवार के सदस्यों के वकील ने पीठ को बताया कि प्रथम अपीलकर्ता, निसार अहमद, जिनके बेटे की विस्फोट में मौत हो गई थी, मुकदमे में गवाह नहीं थे। उन्होंने बताया कि विशेष अदालत ने अहमद को मुकदमे के दौरान हस्तक्षेप करने और अभियोजन पक्ष की सहायता करने की अनुमति दी थी। वकील ने आगे कहा कि छह अपीलकर्ताओं में से केवल दो से ही अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पूछताछ की गई।

उच्च न्यायालय ने कहा कि चार्ट में ऐसा कुछ नहीं लिखा है। अदालत ने कहा, ‘‘चार्ट भ्रामक है। आपको इसे ठीक से सत्यापित करने की आवश्यकता है। इन व्यक्तियों से पूछताछ की गई या नहीं, यही सवाल है। चार्ट अधूरा है।’’ उच्च न्यायालय विस्फोट में मारे गए छह लोगों के परिवार के सदस्यों द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। महाराष्ट्र के नासिक जिले में मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 अन्य घायल हो गए।

इस अपील में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित मामले के सात आरोपियों को बरी करने के विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय की पीठ ने मंगलवार को जानना चाहा कि क्या मुकदमे में परिवार के सदस्यों से गवाह के रूप में पूछताछ की गई थी। पिछले हफ्ते दायर अपील में दावा किया गया था कि दोषपूर्ण जांच या जांच में कुछ खामियां आरोपियों को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। इसमें यह भी तर्क दिया गया था कि (विस्फोट की) साजिश गुप्त रूप से रची गई थी और इसलिए इसका प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 31 जुलाई को विशेष एनआईए अदालत द्वारा सात आरोपियों को बरी करने का आदेश गलत और कानूनी रूप से अनुचित था और इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। अपील में कहा गया था कि निचली अदालत के न्यायाधीश को आपराधिक मुकदमे में ‘डाकिया या मूकदर्शक’ की भूमिका नहीं निभानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि जब अभियोजन पक्ष तथ्य उजागर करने में विफल रहता है, तो निचली अदालत सवाल पूछ सकती है और/या गवाहों को तलब कर सकती है। अपील में कहा गया है, ‘‘दुर्भाग्य से निचली अदालत ने सिर्फ एक डाकघर की तरह काम किया है और आरोपियों को फायदा पहुंचाने के लिए एक दोषपूर्ण अभियोजन को अनुमति दी है।’’

इसमें राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा मामले की जांच और मुकदमे के तरीके पर भी चिंता जताई गई और आरोपियों को दोषी ठहराने की मांग की गई। अपील में कहा गया है कि राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने सात लोगों को गिरफ्तार करके एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया और उसके बाद से अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी वाले इलाकों में कोई विस्फोट नहीं हुआ है। इसमें दावा किया गया है कि एनआईए ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोपों को कमजोर कर दिया। विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि केवल संदेह ही वास्तविक सबूत की जगह नहीं ले सकता और दोषसिद्धि के लिए कोई ठोस या विश्वसनीय सबूत नहीं है।

एनआईए अदालत की अध्यक्षता कर रहे विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ कोई ‘विश्वसनीय और ठोस सबूत’ नहीं है जो मामले को संदेह से परे साबित कर सके। अभियोजन पक्ष का तर्क था कि सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव शहर में मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के इरादे से दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने विस्फोट किया था। एनआईए अदालत ने अपने फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियों को उजागर किया था और कहा था कि आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। ठाकुर और पुरोहित के अलावा आरोपियों में मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
समाचार लेखन की दुनिया में एक ऐसा नाम जो सटीकता, निष्पक्षता और रचनात्मकता का सुंदर संयोजन प्रस्तुत करता है। हर विषय को गहराई से समझकर उसे आसान और प्रभावशाली अंदाज़ में पाठकों तक पहुँचाना मेरी खासियत है। चाहे वो ब्रेकिंग न्यूज़ हो, सामाजिक मुद्दों पर विश्लेषण या मानवीय कहानियाँ – मेरा उद्देश्य हर खबर को इस तरह पेश करना है कि वह सिर्फ जानकारी न बने बल्कि सोच को भी झकझोर दे। पत्रकारिता के प्रति यह जुनून ही मेरी लेखनी की ताकत है।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular