Monday, August 25, 2025
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भविष्य बेहद उज्ज्वल दिख रहा, 2040 तक चांद पर किसी भारतीय को उतारने की महत्वाकांक्षा महान है : शुभांशु शुक्ला

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, एक्सिओम-4 मिशन के बाद पहली बार लखनऊ पहुंचे और सीएमएस में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को अंतरिक्ष में भारत के उज्ज्वल भविष्य की प्रेरणा दी। उन्होंने 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय की लैंडिंग की महत्वाकांक्षा को साझा किया और युवाओं से कड़ी मेहनत करने का आग्रह किया। शुक्ला ने अपने अनुभव, परिवार से मुलाकात और लखनऊ के गर्मजोशी भरे स्वागत का उल्लेख किया।

Shubhanshu Shukla : लखनऊ। अंतरिक्ष यात्री एवं भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने सोमवार को कहा कि परिदृश्य में हो रहे बदलाव को देखते हुए ऐसा लगता है कि भविष्य बेहद उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि साल 2040 तक चांद पर किसी भारतीय को उतारने की भारत की महत्वाकांक्षा महान है। शुभांशु अपने ऐतिहासिक ‘एक्सिओम-4’ अंतरिक्ष मिशन के बाद पहली बार आज सुबह अपने गृह नगर लखनऊ पहुंचे। हालांकि, वह 17 अगस्त को अमेरिका से भारत लौट आए थे, लेकिन 18 अगस्त को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक सहित अन्य संपर्क कार्यक्रमों में भाग लेने के कारण वह अब उत्तर प्रदेश की राजधानी पहुंचे हैं।

सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के पूर्व छात्र शुक्ला ने अपने सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में खासकर बच्चों से मुखातिब होते हुए कहा कि वह उनसे इस बारे में बात करना चाहते थे कि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में क्या हो रहा है और यह नई पीढ़ी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ”पिछले पांच सालों के प्रशिक्षण और पिछले एक साल में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक उड़ान भरने और वहां वापस आने के अपने अनुभव के आधार पर और इस पूरे परिदृश्य में आ रहे बदलावों को देखते हुए मुझे लगता है कि भविष्य बेहद उज्ज्वल है।”

हम सही समय पर हैं, भविष्य को बताया ‘स्वर्णिम’ : शुक्ला

शुक्ला ने कहा, हम सही समय पर हैं, सही अवसर अभी है। कार्यक्रम के दौरान शुक्ला ने काले रंग की टी-शर्ट और इसी रंग के पैंट के साथ भूरे रंग की जैकेट पहन रखी थी। शुभांशु की एक आस्तीन पर भारतीय वायु सेना और तिरंगे का चिह्न और दूसरी आस्तीन पर इसरो का प्रतीक चिह्न बना हुआ था। प्यार से ‘शुक्स’ बुलाये जाने वाले शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष की कक्षा में रहते हुए उनकी बच्चों के साथ तीन बार बातचीत हुई और किसी ने उनसे यह नहीं पूछा कि वह क्या करते हैं या अंतरिक्ष यात्री क्या करते हैं, बल्कि उनसे यह सवाल पूछा गया कि ”मैं अंतरिक्ष यात्री कैसे बनूं?”

देखते हैं कि 2040 में चांद पर कौन जाता है : शुक्ला

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में पहुंचने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रचने वाले शुक्ला ने युवाओं से कहा, ”मुझे लगता है कि यह आपके मन की दिशा को दर्शाता है। कृपया आकांक्षा रखें। वर्ष 2040 तक चांद पर उतरने का हमारा एक महान दृष्टिकोण और महत्वाकांक्षा है… और शायद आप में से ही कोई वहां कदम रखेगा।” हालांकि, शुक्ला ने छात्रों को आगाह किया कि अंतरिक्ष अभियान पर जाने की उम्मीद रखने वालों के लिए यह आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, ”तो कड़ी मेहनत करो। हम साथ मिलकर प्रतिस्पर्धा करेंगे और देखते हैं कि 2040 में चांद पर कौन जाता है।” शुक्ला ने कहा कि उनका मानना है कि यह एक ‘स्वर्णिम समय’ है और वह नई पीढ़ी की असीम क्षमताओं से चकित हैं। उन्होंने कहा, ”मुझे भविष्य बहुत आशाजनक लग रहा है। भारत वापस आने पर जो ऊर्जा मुझमें थी, वह हर दिन यहां के उत्साह को देखकर बढ़ रही है। मुझे यहां सभी के उत्साह को देखकर सुखद आश्चर्य हो रहा है।”

शुक्ला ने स्कूल के छात्रों द्वारा प्रस्तुत नृत्य और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की सराहना की। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘सीएमएस की प्रबंधक गीता गांधी किंगडन ने रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह से अनुरोध किया कि वह अंतरिक्ष मिशन से लौटने के तुरंत बाद मुझे मेरे गृह नगर लखनऊ भेज दें। शुक्ला ने गीता से मिली ‘कभी हार न मानने’ की भावना को याद किया। उन्होंने कहा, ”मैं चाहता हूं कि जब आप बड़े हों तो आप सभी में हार न मानने की यही भावना हो। लखनऊ के त्रिवेणी नगर में पले-बढ़े शुक्ला ने कहा कि उन्हें घर वापस आकर बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने अमेरिका से लौटने पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए गर्मजोशी भरे स्वागत की तुलना लखनऊ में किये गए स्वागत से की।

उन्होंने कहा, ”दिल्ली में मेरा स्वागत जरूर हुआ, लेकिन यह कुछ खास नहीं था। लखनऊ में गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए शुक्रिया। मैं घर वापस आकर बहुत खुश हूं।” मंच पर उनके पिता शंभू शुक्ला और माता आशा शुक्ला भी मौजूद थीं। सीएमएस गोमती नगर विस्तार शाखा में आयोजित कार्यक्रम में शुक्ला के भाषण से पहले और बाद में, शुक्ला परिवार के लिए भावुक क्षण भी देखने को मिले। एक बार शुक्ला ने अपनी मां को गले लगा लिया, जबकि उनके पिता भी नम आंखों के साथ उनके पास खड़े थे।

Mukesh Kumar
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