Bengal SIR : कोलकाता। निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय पर बीएलओ के एक वर्ग द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन को लेकर कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज कुमार वर्मा को बुधवार को पत्र लिखा और इसे ‘‘गंभीर सुरक्षा उल्लंघन’’ बताया तथा 48 घंटे के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालांकि सीईओ कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों के प्रदर्शन के लिए निर्वाचन आयोग के “अहंकार” को जिम्मेदार ठहराया। पत्र में निर्वाचन आयोग के सचिव सुजीत कुमार मिश्रा ने कहा कि स्थिति से निपटने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल के कार्यालय में मौजूदा सुरक्षा अपर्याप्त प्रतीत होती है।
सीएम ममता ने बीएलओ की मांग को उचित बताया
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कारण ‘‘अत्यधिक कार्य दबाव’’ का आरोप लगाते हुए, बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के एक वर्ग ने मंगलवार शाम तक सीईओ कार्यालय के बाहर 30 घंटे का प्रदर्शन किया। निर्वाचन आयोग ने पत्र में कहा, सीईओ कार्यालय में मौजूदा सुरक्षा स्थिति से निपटने के लिए अपर्याप्त प्रतीत होती है, जिससे मुख्य निर्वाचन अधिकारी, संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, उप मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में काम करने वाले अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

पत्र की एक प्रतिलिपि मुख्य सचिव, राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भेजी गई। इस घटना को गंभीरता से लेने का उल्लेख करते हुए निर्वाचन आयोग ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह सीईओ कार्यालय में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों, उनके आवासों और आने-जाने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय करे। पत्र में कहा गया, आयोग साथ ही यह निर्देश भी देता है कि राज्य में एसआईआर गतिविधियों और आगामी चुनाव के कारण संवेदनशीलता के चलते पर्याप्त सुरक्षा वर्गीकरण किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि फिर कोई अप्रिय घटना ना घटे।
संविधान दिवस के अवसर पर रेड रोड स्थित बी आर आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री बनर्जी ने कथित तौर पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीएलओ को अपनी शिकायतें रखने के लिए उनके दफ्तर के बाहर घंटों इंतजार क्यों कराया गया।उन्होंने सवाल किया, ‘‘बंगाल ही नहीं, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी बीएलओ काम के दबाव में दम तोड़ रहे हैं। मुझे लगता है कि इन अधिकारियों की मांगें जायज और वैध हैं। सीईओ से मिलने के लिए उन्हें 48 घंटे क्यों बैठना पड़ा? क्या उनके समय की कोई कीमत नहीं है?’’
बनर्जी ने कहा कि बीएलओ को सर्वर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण वे समय पर मतदाताओं के आंकड़े अपलोड नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया को वर्तमान दो महीने की समय-सीमा के बजाय तीन वर्ष की अवधि के लिए योजनाबद्ध करने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने सवाल किया, ‘‘दो दिन बाहर इंतजार करने के बाद, उन्होंने पहले एक प्रतिनिधि को अंदर बुलाया। पुलिस के अनुरोध पर, उन्होंने बाद में दो और प्रतिनिधियों को बुलाया। अहंकार का यह प्रदर्शन क्यों? लोगों को अपनी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है या नहीं?’’




