पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण इस दौरान कोर्ट में मौजूद रहे.सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से उनके अखबारों में दिए गए सार्वजनिक माफीनामे को लेकर सवाल किया.अदालत ने पूछा कि क्या आपका माफीनामा उतना ही बड़ा है, जितना आपने भ्रामक विज्ञापन दिया था.वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसकी कीमत 10 लाख है. सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि अखबार में छपी आपकी माफी अयोग्य है. कोर्ट ने अतिरिक्त विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया.
IMA को भी लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई.अदालत ने कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है, जबकि चार अंगुलियां उन पर इशारा कर रही हैं. IMA से सुप्रीम कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं.अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर सवाल क्यों नहीं उठाना चाहिए?
FMCG भी जनता को भ्रमित कर रहे
कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने का काम कर रही है. खासकर छोटे बच्चों, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का उपभोग करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये नुकसानदायक है, क्योंकि ये इन उत्पादों को यूज करते हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय को 3 साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
”किसी विशेष पार्टी पर सख्ती के लिए यह नहीं है”
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी विशेष पार्टी पर सख्ती के लिए यह नहीं है, बल्कि यह उपभोक्ताओं या जनता के व्यापक हित में है कि उन्हें कैसे गुमराह किया जा रहा है. जनता को सच्चाई जानने का उनका अधिकार है.