Saturday, June 14, 2025
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Supreme Court ने अंबानी परिवार को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दिए जाने के खिलाफ याचिका की खारिज, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, कही ये बात

Supreme Court ने मुकेश अंबानी और उनके परिवार को दी गई 'जेड प्लस' सुरक्षा हटाने की याचिका खारिज कर दी। बार-बार याचिका दायर करने पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता विकास साहा को फटकार लगाई और चेताया कि भविष्य में ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना लगाया जाएगा।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक वादी द्वारा बार-बार याचिका दायर करने पर उसे फटकार लगाई और उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार के सदस्यों को प्रदान की गई ‘जेड प्लस’ सुरक्षा वापस लेने के अनुरोध वाली उसकी याचिका खारिज कर दी. न्यायालय ने कहा कि न्याय प्रक्रिया पर दबाव डालने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दी चेतावनी

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की आंशिक कार्य दिवस वाली पीठ ने याचिकाकर्ता विकास साहा को इस मुद्दे पर एक के बाद एक ‘तुच्छ’ और ‘परेशान करने वाली’ याचिकाएं दायर करने के लिए चेतावनी दी और कहा कि यदि वह भविष्य में ऐसी याचिकाएं दायर करते हैं तो अदालत उन पर जुर्माना लगाने के लिए बाध्य होगी.

साहा ने एक निस्तारित याचिका में एक आवेदन दायर कर फरवरी 2023 के आदेश के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा रद्द करने की उनकी याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि इस मामले में उनका कोई अधिकार नहीं है.

‘न्याय प्रक्रिया पर दबाव डालने की इजाजत नहीं दी जा सकती’

न्यायमूर्ति मनमोहन ने साहा के वकील से कहा, ‘न्याय प्रक्रिया पर दबाव डालने की इजाजत नहीं दी जा सकती. ऐसा मत कीजिए. यह बहुत गंभीर मुद्दा है और हम आपको चेतावनी दे रहे हैं. ऐसा मत सोचिए कि यहां कोई सोने की खान है जिसे छीना जा सकता है और हम आपकी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए यहां हैं. यह एक पवित्र चीज है, चाहे वह कोई राजनीतिक व्यक्ति हो या कोई व्यवसायी, राज्य को जो भी एहतियात बरतना होगा, वह करेगा.’

‘किसे क्या सुरक्षा दी जानी है यह केवल केंद्र और राज्य का काम’

पीठ ने वकील से यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह निर्णय नहीं कर सकता कि किसे क्या सुरक्षा दी जानी है तथा यह केवल केंद्र और राज्य का काम है, जो विभिन्न एजेंसियों द्वारा विश्लेषण किए गए खतरे के आधार पर निर्णय लेते हैं कि क्या एहतियाती कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

‘खतरे की धारणा तय करने वाले आप कौन होते हैं?’

पीठ ने वकील से पूछा, ‘यह कुछ नया है जो सामने आया है. न्यायशास्त्र की नयी विधा. क्या यह हमारा क्षेत्राधिकार है? खतरे की धारणा तय करने वाले आप कौन होते हैं? यह भारत सरकार तय करेगी। कल अगर कुछ हुआ तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे? या फिर न्यायालय इसकी जिम्मेदारी लेगा?”

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Premanshu Chaturvedi
Premanshu Chaturvedihttp://jagoindiajago.news
समाचारों की दुनिया में सटीकता और निष्पक्षता के साथ नई कहानियों को प्रस्तुत करने वाला एक समर्पित लेखक। समाज को जागरूक और सूचित रखने के लिए प्रतिबद्ध।
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