जयपुर। प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों पर रोक के कारण विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में शैक्षणिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। विवि में चुनाव करवाने की मांग को लेकर जहां विद्यार्थी आंदोलनरत है तो ओल्ड पेंशन स्कीम की विसंगति दूर करने की मांग को लेकर शिक्षक एवं कर्मचारियों का भी प्रदर्शन जारी है। इसके चलते विवि में हॉस्टल खाली होने लगे और प्रमुख पार्टियों के नेता विद्यार्थियों को महज वोट बैंक मानकर उन्हें अपने पाले में करने में जुटे हैं।
राजस्थान विवि में शुक्रवार को भी कमोबेश यही स्थिति रही और विवि में शैक्षणिक के साथ सभी प्रशासनिक कामकाज पूरी तरह से ठप रहे। प्रवेश प्रक्रिया के साथ ही रोजमर्रा के काम करवाने कैम्पस आए छात्रों को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ा। देर शाम तक वे सिर्फ कर्मचारियों के अपनी सीट पर आने का इंतजार करते दिखाई दिए। विवि में छात्रों के प्रदर्शन का असर प्रमुख वीआईपी मार्ग जेएलएन रोड पर भी दिखाेई दिया और यहां कई बार जाम की स्थिति रही।
इधर, विधायकों के दबाव में उड़ी नियमों की धज्जियां
राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षक एवं छात्रों के प्रदर्शन के बीच शुक्रवार को जनप्रतिनिधियों ने भी शिरकत की और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए गत दिनों जारी हुई सिंडिकेट बैठक की मिनिट्स में कुलपति से बदलाव करवाया। जानकारों के अनुसार गत बैठक में यह तय था कि राज. विवि में 2018 का रेगुलेशन उसी हाल में पास होगा, जो अकैडमिक काउंसिल द्वारा भेजा गया था। इसके बावजूद विधायक गोपाल मीणा और अमीन कागजी ने कुलपति निवास पर पिछले दरवाजे से पहुंचकर कुलपति से नियमों को तत्काल प्रभाव से बदलने की मांग की। इसके बाद दबाव में आए कुलपति ने बंद कमरे में मिनिट्स को बदल डाला। मामले में कुलपति निवास के बाद शिक्षकों की ओर से प्रदर्शन किया गया। राजस्थान विवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने कहा कि विधायक अपनी सुविधा के लिहाज से नियम बदलवा रहे हैं, जो गलत है। उन्होंने बताया कि विधायक के प्रयासों से वरिष्ठता के क्रम में केवल 30 शिक्षकों को लाभ मिलेगा, जबकि इस एक निर्णय से 350 से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे। उन्होंने मामले में राजभवन से दखल की मांग की।
सीएम गहलोत खुद हारे हुए छात्र नेता- बेनीवाल
इस बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल भी राज. विवि पहुंचे। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन गहलोत खुद विवि का चुनाव हार गए थे। इसी कारण उन्होंने चुनाव रद्द करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री इस बात से नाराज हो सकते हैं कि 40 साल पुरानी बात को आज क्यों बता रहे हैं, लेकिन यह सच है। गत 6 दिनों से चल रहे छात्रों के धरने में पहुंचे बेनीवाल ने कहा कि आज सत्ता में बैठे अनेक मंत्री छात्रनेताओं से चिड़े हैं, ऐसे नेताओं में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हैं, क्योंकि वो खुद चुनाव हारे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 में सरकार ने छात्रसंघ चुनाव बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन हमनें विरोध किया और नतीजा तीन महीने बाद आखिरकार सरकार को चुनाव करवाने पड़े। आखिरकार इस बार भी राज्य सरकार को चुनाव करवाने पडें़गे। बेनीवाल ने निर्वतमान छात्रसंघ पदाधिकारियों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि गत वर्ष छात्रसंघ चुनाव जीतकर आए छात्र नेताओं को शर्म आनी चाहिए। क्योंकि, अब जबकि सरकार चुनाव रद्द कर रही है तो उन्हें चुप्पी तोड़कर आम छात्रों की लड़ाई लड़नी चाहिए और चुनाव करवाने चाहिए। इस दौरान सांसद हनुमान बेनीवाल ने पिछले 6 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे छात्र नेताओं को जूस पिलाकर भूख हड़ताल समाप्त करवाई। उन्होंने छात्र राजनीति से विधायक और सांसद बनने वाले नेताओं से छात्रसंघ चुनाव के समर्थन में खड़े होने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि गहलोत की सरकार जाने वाली है। सरकार ने जल्द छात्रों की मांगों को पूरा नहीं किया तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी राजधानी जयपुर को घेरेगी। उन्होंने कहा कि छात्रसंघ चुनाव सिर्फ इस बार ही नहीं बल्कि, हर साल लोकसभा, विधानसभा और निकाय पंचायत के पहले होते हैं। बेनीवाल राज. विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं।