Rahul Gandhi On G Ram G Bill: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNERGA) के स्थान पर ‘VB-G Ram G Bill’ संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद शुक्रवार को कहा कि यह प्रस्तावित कानून प्रदेश एवं गांवों के खिलाफ है तथा इसे वापस लेने के लिए सरकार को विवश करने के मकसद से एक राष्ट्रव्यापी मोर्चा बनाया जाएगा. संसद ने गुरुवार को ‘विकसित भारत- जी राम जी विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी. पहले दिन में यह विधेयक लोकसभा और देर रात राज्यसभा से पारित किया गया.
विधेयक की संरचना ही राज्यविरोधी और गांवविरोधी: राहुल गांधी
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘कल रात मोदी सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के 20 वर्षों को ध्वस्त कर दिया. G Ram G Bill, मनरेगा का कोई पुनर्गठन’’ नहीं है. यह अधिकार-आधारित, मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर इसे एक सीमित योजना में बदल देता है, जिसे दिल्ली से नियंत्रित किया जाएगा.’ उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक की संरचना ही राज्यविरोधी और गांवविरोधी है.
Last night, the Modi government demolished twenty years of MGNREGA in one day.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 19, 2025
VB–G RAM G isn’t a “revamp” of MGNREGA. It demolishes the rights-based, demand-driven guarantee and turns it into a rationed scheme which is controlled from Delhi. It is anti-state and anti-village…
मनरेगा ने ग्रामीण मजदूर को मोलभाव की ताकत दी: राहुल गांधी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘मनरेगा ने ग्रामीण मजदूर को मोलभाव की ताकत दी. वास्तविक विकल्प मिलने से शोषण और मजबूरी में पलायन घटा, मजदूरी बढ़ी, काम की परिस्थितियां बेहतर हुईं और साथ ही ग्रामीण ढांचे का निर्माण व पुनर्जीवन हुआ. यही वह ताकत है जिसे यह सरकार तोड़ना चाहती है.’ उनके मुताबिक, काम की सीमा तय करके और काम से वंचित करने के और रास्ते बनाकर, जी राम जी विधेयक उस एकमात्र माध्यम को कमजोर करता है जो ग्रामीण गरीबों के पास था.
‘हमने कोविड-19 महामारी के दौरान देखा कि मनरेगा का क्या मतलब था’
राहुल गांधी ने कहा, ‘हमने कोविड-19 महामारी के दौरान देखा कि मनरेगा का क्या मतलब था. जब अर्थव्यवस्था बंद हो गई और आजीविकाएं खत्म हो गईं, तब इसने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया. इससे सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं को हुआ, जिन्होंने साल दर साल कुल व्यक्ति-दिवसों का आधे से अधिक योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि जब किसी रोजगार कार्यक्रम को सीमित किया जाता है, तो सबसे पहले महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लोग बाहर धकेले जाते हैं.
‘संसद में बिना उचित जांच-पड़ताल के जबरन पारित कराया गया’
राहुल गांधी ने कहा, ‘ऊपर से इस कानून को संसद में बिना उचित जांच-पड़ताल के जबरन पारित कराया गया. विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की विपक्ष की मांग खारिज कर दी गई. ग्रामीण सामाजिक करार को बदल देने वाला, करोड़ों मजदूरों को प्रभावित करने वाला कानून कभी भी गंभीर समिति समीक्षा, विशेषज्ञ परामर्श और सार्वजनिक सुनवाई के बिना नहीं थोपा जाना चाहिए.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य साफ हैं: श्रम को कमजोर करना, ग्रामीण भारत-खासकर दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की मोलभाव की ताकत को कमजोर करना, सत्ता का केंद्रीकरण करना और फिर इसे ‘सुधार’ के नारे के रूप में बेचना.’
‘हम मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े रहेंगे’
कांग्रेस नेता ने कहा कि’ मनरेगा दुनिया के सबसे सफल गरीबी उन्मूलन और सशक्तिकरण कार्यक्रमों में से एक है. राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, ‘हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की आखिरी रक्षा-पंक्ति को नष्ट नहीं करने देंगे. हम मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े रहेंगे, इस कदम को हराने और इस कानून को वापस लेने के लिए एक राष्ट्रव्यापी मोर्चा बनाएंगे.’
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