IND vs SA T20: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच लखनऊ में होने वाला चौथा टी20 क्रिकेट मुकाबला धुंध के कारण रद्द किए जाने के बाद मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. वहीं, सरकार ने इस पर सफाई पेश करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया और अन्य मंच पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) से संबंधित ‘भ्रामक आंकड़े’ प्रचारित और प्रसारित किए जा रहे हैं.
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मौजूदा टी20 सीरीज का चौथा मुकाबला बुधवार शाम 7 बजे से लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई इकाना स्टेडियम में खेला जाना था लेकिन खराब मौसम और छाई धुंध की वजह से रात 9.30 बजे मैच रद्द करना पड़ा.
अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर साधा निशाना
इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे लेकर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘दिल्ली का प्रदूषण अब लखनऊ तक पहुंच गया है. इसीलिए लखनऊ में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच नहीं हो पा रहा है. दरअसल इसकी वजह कोहरा या ‘फॉग’ नहीं, बल्कि ‘स्मॉग’ (धुंध) है.’ उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए इसी संदेश में कहा, ‘हमने जो पार्क लखनऊ की शुद्ध हवा के लिए बनवाए थे, भाजपा सरकार वहां भी ‘इंवेटबाजी’ करवाकर उन्हें बर्बाद करना चाहती है. भाजपाई न इंसान के सगे हैं, न पर्यावरण के.’ यादव ने ‘मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं’ की टैगलाइन को इस घटनाक्रम से जोड़ते हुए तंज किया, ‘मुंह ढंक लीजिए क्योंकि आप लखनऊ में हैं.’
दिल्ली का प्रदूषण अब लखनऊ तक पहुँच गया है। इसीलिए लखनऊ में आयोजित होनेवाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच नहीं हो पा रहा है। दरअसल इसकी वजह कोहरा या फ़ॉग नहीं, स्मॉग है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 17, 2025
हमने जो पार्क लखनऊ की शुद्ध हवा के लिए बनवाए थे, भाजपा सरकार वहाँ भी इंवेटबाजी करवाकर उन्हें बर्बाद करना चाहती… pic.twitter.com/X71TvretcV
सरकार की तरफ से सफाई में कही गई ये बात
इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे पर बयान जारी कर सफाई दी और कहा कि सोशल मीडिया और अन्य मंच पर AQI से संबंधित ‘भ्रामक आंकड़े’ प्रचारित और प्रसारित किए जा रहे हैं. बयान में सरकार ने कहा कि लखनऊ का वायु गुणवत्ता सूचकांक 174 है जो मध्यम श्रेणी में आता है. सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर एक्यूआई से संबंधित भ्रामक आंकड़े प्रचारित और प्रसारित किए जा रहे हैं जो वायु गुणवत्ता बताने वाले निजी ऐप से लिए गए हैं.
‘निजी ऐप के आधार पर फैलाया जा रहा डर तथ्यहीन और निराधार है’
आधिकारिक बयान में किसी का नाम लिए बगैर और किसी की तरफ इशारा किये बिना दावा किया गया कि निजी ऐप के आधार पर फैलाया जा रहा डर तथ्यहीन और निराधार है. लखनऊ की वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है, स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. नागरिकों से अनुरोध है कि केवल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और सरकारी स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर ही भरोसा करें.
AQI के आंकड़े पर कही गई ये बात
बयान के मुताबिक अधिकतर विदेशी मंच अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (US-EPA) के मानकों का उपयोग करते हैं, जबकि भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (NAQI) का पालन किया जाता है. दोनों के मापदंड अलग-अलग हैं. साथ ही आधिकारिक निगरानी केंद्र (जैसे लालबाग, तालकटोरा, अलीगंज) प्रमाणित और उत्कृष्ट उपकरणों का उपयोग करते हैं. निजी संस्थाएं अक्सर सैटेलाइट डेटा या अन्य माध्यमों से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल करती हैं, जिनमें त्रुटि की संभावना अधिक होती है. वायु गुणवत्ता मापने की तकनीक और मानकों में अंतर के कारण निजी ऐप पर दिखाई देने वाले आंकड़े अक्सर भ्रामक होते हैं. सीपीसीबी का मॉडल भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप विकसित किया गया है, जबकि अधिकतर निजी ऐप विदेशी परिस्थितियों पर आधारित होते हैं जो भारत की भौगोलिक, मौसमी और पर्यावरणीय स्थितियों को सही तरीके से आंकने में सक्षम नहीं हैं.
बयान में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया कि कई निजी ऐप धूल कण और धुएं के बीच अंतर नहीं कर पाते. भारतीय शहरों में धूल की मात्रा स्वाभाविक रूप से अधिक होती है, लेकिन विदेशी मॉडल इसे सीधे प्रदूषण मान लेते हैं. इसी कारण AQI को वास्तविकता से अधिक दिखाया जाता है और अनावश्यक डर का माहौल बनता है.




