कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया में एक यहूदी स्कूल की पूर्व प्राचार्य को 2 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने के मामले में 24 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी। अप्रैल में विक्टोरिया राज्य की जूरी द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद मल्का लीफ़र को सजा पर 3 दिन चली सुनवाई के बाद न्यायाधीश मार्क गैंबल ने शुक्रवार को कहा कि सजा 24 अगस्त को सुनाई जाएगी।
लीफ़र की सजा उस विस्तारित लड़ाई का संभवत: अंतिम अध्याय है जिसने 56 वर्षीय इजराइली नागरिक को न्याय के कटघरे में लाने के लिए इजराइल-ऑस्ट्रेलियाई संबंधों को कसौटी पर खड़ा कर दिया था। 2000 में 14 वर्षीय डैस्सी एर्लिक और 12 वर्षीय एली सैपर मेलबर्न में लड़कियों के स्कूल ‘‘ऑर्थोडॉक्स एडास इजराइल स्कूल’’ में पढती थीं। उस दौरान लीफर इस स्कूल में इजराइल से धर्म प्रमुख के तौर पर आई।
लीफ़र ने 2003 और 2007 के बीच दोनों बहनों का यौन उत्पीड़न किया। दोनों बहनों ने पिछले महीने अदालत को बताया कि लीफ़र ने जो कुछ उनके साथ किया उससे उनका भरोसा टूट गया है और यह घटना भूल पाना उनके लिए संभव नहीं है। एसोसिएटेड प्रेस आमतौर पर यौन शोषण के पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं करता, लेकिन इस मामले में दोनों बहनों ने खुद मीडिया में आने का फैसला लिया। आरोप सामने आने के बाद लीफ़र 2008 में इज़राइल लौट गई और 2014 से जनवरी 2021 तक अपने प्रत्यर्पण के विरोध में अदालत में चल रहा मुकदमा लड़ती रहीं। ऑस्ट्रेलिया ने उनके प्रत्यर्पण के लिए आवेदन दिया था।
2021 में इजराइल से ऑस्ट्रेलिया वापस लौटने के बाद से वह हिरासत में है और उन्होंने सभी आरोपों से इनकार कर दिया है। लीफर को बलात्कार के 6 आरोपों में दोषी ठहराया गया है जिनमें 25 साल की सजा का प्रावधान है। बच्चे के यौन उत्पीड़न के 3 आरोपों में वह दोषी ठहराई गई हैं जिनमें 10-10 साल की सजा का प्रावधान है। वह बच्चे के साथ अश्लील कृत्य करने के 3 आरोपों में दोषी ठहराई गई जिनमें 5-5 साल की सजा का प्रावधान है। उन्हें 9 आरोपों में बरी कर दिया गया जिनमें से 5 आरोप एक पीड़ित की बड़ी बहन से संबंधित थे।