पुणे,अभिनेत्री शबाना आजमी ने कोलकाता में एक ट्रेनी महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. अभिनेत्री पुणे में यूनिसेफ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुई थी. इस दौरान उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के केवल कुछ ही मामलों में आक्रोश जाहिर नहीं किया जाना चाहिए बल्कि समाज को इस विकृति के मूल कारण पर काम करना चाहिए.लोगों की पितृसत्तात्मक मानसिकता को खत्म करने की जरूरत है क्योंकि निर्भया कांड के 12 साल बाद भी यौन उत्पीड़न के मामलों में कमी नहीं आई है.
अभिनेत्री आजमी संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के सहयोग से पुणे स्थित ग्रेविटास फाउंडेशन द्वारा ‘बच्चों के लिए एक सुरक्षित विश्व का निर्माण’ विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुई थीं. सम्मेलन में अभिनेत्री से कोलकाता में एक ट्रेनी महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या और बदलापुर के एक स्कूल में 4 साल की 2 बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में सवाल पूछा गया था .
”ये सभी घटनाएं बेहद खतरनाक हैं”
आजमी ने कहा, ”आक्रोश तो होना ही चाहिए और सिर्फ आज नहीं, आक्रोश तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था और गुस्सा केवल कुछ ही मामलों में जाहिर नहीं किया जाना चाहिए. ये सभी घटनाएं बेहद खतरनाक हैं.”उन्होंने कहा, ”अगर हम इन घटनाओं को चुनिंदा तरीके से देखते रहेंगे तो हम उनकी जड़ तक नहीं पहुंच पाएंगे। यह सब बहुत शर्मनाक है.”
”फिर भी घटनाएं कम नहीं हुई हैं”
दिल्ली में 2012 में एक फिजियोथेरेपी की इंटर्न के साथ हुए क्रूर सामूहिक दुष्कर्म का जिक्र करते हुए अभिनेत्री ने कहा कि पूरा देश उसके लिए न्याय की मांग करने के लिए एकजुट हुआ था और उसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने कई सिफारिशें कीं, लेकिन फिर भी घटनाएं कम नहीं हुई हैं.
”महिलाओं को वस्तु समझने वाली सोच खत्म करने की जरूरत”
अभिनेत्री ने कहा, ”पितृसत्ता और महिलाओं को वस्तु समझने वाली सोच को खत्म करने की जरूरत है तथा यह सोचने की जरूरत है कि उनके भी समान अधिकार हैं. ऐसे मामलों में सख्त प्रोटोकॉल हैं और कुछ मामलों में मौत की सजा भी दी गई है लेकिन फिर भी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं.हमें इन घटनाओं के मूल कारण पर काम करने की जरूरत है. हमें न्यायमूर्ति वर्मा समिति द्वारा दी गई सिफारिशों पर काम करने की जरूरत है.”