नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा नीट-पीजी, 2024 के पैटर्न में अंतिम समय में किए गए बदलाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बहुत ही असामान्य है और इससे छात्रों में अवसाद पैदा हो सकता है. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने छात्रों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा और वकील तन्वी दुबे की दलीलों पर गौर किया और याचिकाओं पर राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड (एनबीई) और केंद्र से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा तथा इन्हें 27 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
सुनवाई की शुरुआत में वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यह मुद्दा 11 अगस्त को आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) के परीक्षा प्रारूप, अंकों के सामान्यीकरण, उत्तर कुंजी के खुलासे और प्रश्नपत्रों में अंतिम समय में किए गए बदलाव से संबंधित है. उन्होंने कहा कि न तो कोई नियम थे और न ही स्पष्टता थी तथा परीक्षा को परीक्षा-तिथि से 3 दिन पहले 2 भागों में विभाजित कर दिया गया था.इसके लिए एक मानकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है”.उन्होंने बताया कि परीक्षाएं किस प्रकार आयोजित की जाएंगी, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई नियम नहीं हैं.सब कुछ एक सूचना बुलेटिन पर निर्भर था, जिसे अधिकारियों की इच्छानुसार संशोधित किया जा सकता था.”एनबीई के वकील ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि कुछ भी नया और असामान्य नहीं किया गया.
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ”यह बहुत ही असामान्य है. परीक्षाओं से 3 दिन पहले (परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया).छात्रों में खलबली मच जाएगी.” उन्होंने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आगामी काउंसलिंग को ध्यान में रखते हुए याचिकाओं को 27 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
बता दें कि इशिका जैन और अन्य द्वारा दायर याचिका पर अंतिम सुनवाई 13 सितंबर को हुई थी. इसमें एनईईटी-पीजी, 2024 की उत्तर कुंजी, प्रश्न पत्रों का खुलासा और अंकों के मानकीकरण का अनुरोध किया गया है क्योंकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा को 2 भागों में विभाजित किया गया था.