पटना। बिहार विधानसभा में गुरुवार दोपहर आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मित से पारित हो गया है। दो दिन पहले इसे नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन तय हो गया कि बिहार में अब 75 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था होगी। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वे पर बोले। इस दौरान वे पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पर भड़क गए। मांझी ने कहा था कि जातिगणना सही ढंग से नहीं हुई है, इसलिए लोगों को ठीक से लाभ नहीं मिला। इसी बात पर नीतीश कुमार का गुस्सा फूट गया। उन्होंने कहा कि मांझी मेरी मूर्खता से सीएम बने। उन्होंने कहा कि मांझी गवर्नर बनना चाहते हैं। इनको कोई आइडिया ही नहीं है।
मांझी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम उनसे चार साल बड़े हैं। वो अपनी मर्यादा लांघ रहे हैं। वो 1985 में विधायक बने थे, मैं 1980 से विधायक हूं। गर्वनर बनने की बात पर उन्होंने कहा कि ये गलत बात है। मैं दलित हूं इसलिए वह तुम-तड़ाक कर रहे हैं। सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने नीतीश कुमार के दिए विवादित बयान पर हंगामा करना शुरू कर दिया। विधानसभा स्पीकर ने सभी से शांत रहने की अपील की लेकिन कोई मानने के लिए तैयार नहीं हो रहा। दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित होने के बाद राज्य में अनुसूचित जातियों को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को दो प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग को 43 प्रतिशत जबकि आर्थिक रूप से कमजोर तबके को पूर्व की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण मिल सकेगा।
सवर्ण गरीबों का आरक्षण 10 प्रतिशत यथावत रहेगा
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण यथावत रहेगा। इसमें बदलाव की कोई संभावना नहीं है। पिछड़े वर्ग की महिलाओं को मिलने वाला तीन प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों के लिए पहले से जारी आरक्षण में समायोजित कर दिया जाएगा। क्योंकि, राज्य सरकार पहले से ही महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दे रही है।
संशोधन के बाद कुछ ऐसा होगा आरक्षण का स्वरूप (आरक्षण प्रतिशत में)
अनुसूचित जाति 16 से बढ़कर 20 प्रतिशत आरक्षण
अनुसूचित जनजातियों को 1 से बढ़कर 2 प्रतिशत आरक्षण
पिछड़ा, अति पिछड़ा 30 से बढ़कर 43 प्रतिशत आरक्षण
आर्थिक कमजोर वर्ग 10 का 10 ही बना रहेगा