Supreme Court On Stray Dogs: आवारा कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि आवारा कुत्तों को सरकारी एवं निजी शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों, सार्वजनिक परिसरों से हटाया जाए. ऐसे संस्थानों से हटाए गए आवारा कुत्तों को वापस उन्हीं स्थानों पर नहीं छोड़ा जाए. उन्हें शेल्टर होम में शिफ्ट किया जाए. ताकि कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाओं को रोका जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामलों में खतरनाक वृद्धि पर संज्ञान लिया.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों के मामले में कई निर्देश पारित किए. अदालत प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को हटाना एवं उनका निश्चित शेल्टर में स्थानांतरण सुनिश्चित किया जाए.
अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी
पीठ ने प्राधिकारियों को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सहित राजमार्गों के उन हिस्सों की पहचान करने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाने को कहा, जहां आवारा जानवर अक्सर पाए जाते हैं. मामले में आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है.
न्यायालय ने 3 नवंबर को कहा था कि वह उन संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए अंतरिम दिशानिर्देश जारी करेगा, जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं और उन्हें प्रश्रय देते हैं.
स्वत: संज्ञान से मामले पर सुनवाई कर रहा कोर्ट
बता दें कि न्यायालय 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेषकर बच्चों में रेबीज फैलने की बात कही गई थी.




