Sunday, December 22, 2024
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Raksha Bandhan 2023: 30 या 31 अगस्त, कब है रक्षाबंधन ! जानिए यहां

पुरानी मान्यताओं के अनुसार तथा हिंदू पंचांग में रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. रक्षाबंधन भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है. रक्षाबंधन हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व है जो भारत के अलावा पूरे विश्वभर में मनाया जाता है पूरे विश्व में जहां पर हिंदू धर्म के लोग रहते हैं, वहां इस पर्व को भाई-बहनों के बीच मनाया जाता है.

भाई और बहन के प्रेम के प्रतीक के इस त्यौहार पर सभी बहनें अपनी भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र के रुप में राखी बांधती हैं. साल 2023 में इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा. इसके साथ ही रक्षाबंधन पर पूर्णिमा का भी बेहद खास संयोग बनने जा रहा है.

क्या रहेगा रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त, और भद्रा का समय के साथ शुभ संयोग.

वेदों और शास्त्रों के मुताबिक भाई बहने के त्यौहार रक्षाबंधन को भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. भद्रा काल में रक्षाबंधन मनाना बेहद अशुभ माना जाता है. इस बारल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया 30 अगस्त को रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा, इसके बाद से राखी बांधना उपयुक्त रहेगा. 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक राखी बांधी जा सकती है. अगर आप चाहें तो 30 अगस्त को रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद कभी भी राखी बांध सकते हैं. इसके अलावा 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले राखी बांध सकते हैं.

कैसे सजाए रक्षाबंधन पर भाई की पूजा करने के लिए थाली

रक्षांबंधन पर राखी बांधने के बाद बहने अपने भाई की पूजा करती हैं इसके लिए पूजा की थाली को सजाया जाता हैं. इसके लिए आपकी पूजा की थाली में धूप के साथ-साथ घी का दीपक रखा होता हैं. इसके अलावा पूजा की थाली में रोली और चंदन को भी रखा जाता है. जिसके जरिए बहने अपने भाई को टीका लगाती हैं. इसके अलावा थाली में अक्षत रखना चाहिए अक्षत का मतलब वह चावल जो टूटा हुआ न हो. थाली में अपने भाई का रक्षा सूत्र भी रखना है, साथ ही साथ उसमें मिठाई भी रखनी है. अगर आपने अपने घर में बाल गोपाल स्थापित कर रखें हैं तो रक्षाबंधन के दिन आपको बाल गोपाल को भी राखी बांधनी चाहिए.

यहां जानिए रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षा के लिए बांधा जाने वाला धागा रक्षासूत्र कहलाता हैं.  राजसूय यज्ञ के समय में भगवान कृष्ण को द्रोपदी ने रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. इसके बाद बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. साथ ही पहले के समय में ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ शुरू करते हैं. इसलिए रक्षाबंधन वाले दिन यानी श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन शिक्षा का आरंभ करना भी शुभ माना जाता है.

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