जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा कुछ जिलों के गठन को निरस्त किए जाने के मुद्दे पर गुरुवार को सदन में एक बार फिर हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. शून्यकाल में कांग्रेस के 2 विधायकों ने यह मुद्दा उठाया. कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी और रामकेश मीणा ने इस मामले पर सदन में कार्य स्थगन का नोटिस दिया है. उन्होंने नवगठित नीमकाथाना और गंगापुर सिटी जिलों को खत्म करने पर आपत्ति जताई.
भाषण सुनने नहीं आए बल्कि तथ्यों की जानकारी चाहिए : टीकाराम जूली
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि जिले बनाने या निरस्त करने का पूरा अधिकार राज्य सरकार के पास है और उसने सभी तथ्यों के आधार पर यह फैसला किया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंत्री के जवाब पर सवाल उठाए और कहा कि वह उनका भाषण सुनने नहीं आए बल्कि तथ्यों की जानकारी चाहिए. इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और विपक्ष के सदस्य आसन के समीप आ गए. विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने लगभग 12.35 बजे कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
"भाषण नहीं, जवाब चाहिए!"
— Tika Ram Jully (@TikaRamJullyINC) February 6, 2025
सरकार बताए कि कौन सा जिला क्यों निरस्त किया गया? जनता को केवल भाषण नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित रिपोर्ट चाहिए! ✊#TikaramaJully #RajasthanPolitics #जनता_का_सवाल pic.twitter.com/hzZSCa1mLj
राजनीतिक दुर्भावना से किए फैसले : विधायक सुरेश मोदी
नीम का थाना से कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने संभाग व जिलों का दर्जा समाप्त करके वहां की जनता के साथ अन्याय व अत्याचार किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है और क्षेत्र के विकास को खत्म किया है. राज्य सरकार ने ये फैसले मापदंडों के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक दुर्भावना से किए हैं. सुरेश मोदी ने दावा किया कि जिलों की समीक्षा के लिए बनी पंवार समिति ने सब जिलों का दौरा किया, लेकिन वह नीम का थाना नहीं आई.
कांग्रेस विधायक रामकेश मीणा ने कही ये बात
गंगापुर से कांग्रेस विधायक रामकेश ने कहा कि पिछली सरकार ने 17 नए जिलों का गठन किया था जिनमें से 9 जिले व 3 संभागों को भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा सरकार ने राजनीतिक द्वेष से खत्म कर दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने इन जिलों को खत्म करते समय मापदंडों का परीक्षण नहीं किया.
राजनीतिक आधार पर निरस्त किए जाने की बात गलत : जोगाराम
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री पटेल ने कहा किसी जिले को बनाने या किसी जिले को समाप्त करने का पूर्ण अधिकार राज्य सरकार के पास है. उन्होंने कहा जिलों को राजनीतिक आधार पर निरस्त किए जाने की बात पूर्ण रूप से गलत है. जहां तक संभागों के गठन का सवाल है सरकार ने पूर्ण रूप से पारदर्शिता व निष्पक्षता से सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फैसला किया है.
जिलों का बहुत गंभीर विषय है : टीकाराम जूली
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, ”जिलों का बहुत गंभीर विषय है. दोनों विधायकों ने तथ्यों के साथ बात रखी है, लेकिन सरकार की ओर से मंत्री ने एक भी तथ्य नहीं बताया कि कौन से जिले को किस आधार पर रखा और कौन से जिले को किस आधार पर निरस्त कर दिया.” इसके बाद दोनों पक्षों के सदस्य बोलने लगे और अध्यक्ष देवनानी ने कार्य स्थगन प्रस्तावों पर चर्चा समाप्त करने की घोषणा की. हालांकि, सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी और आसन के समीप आ गए. हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी।
विपक्ष का सदन से वॉकआउट
दोपहर 2 बजे जब सदन की बैठक फिर से शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष जूली ने सरकार से जवाब की मांग की लेकिन अध्यक्ष देवनानी ने इसकी अनुमति नहीं दी. इसके बाद विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया.
उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने 17 नए जिले व 3 नए संभाग बनाने की अधिसूचना जारी की थी. इसके साथ ही 3 और जिलों की घोषणा की थी लेकिन उसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई थी. मौजूदा भजनलाल शर्मा सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा गठित 9 जिलों तथा 3 नए संभागों को खत्म करने का फैसला दिसंबर में किया था. हालांकि 8 नए जिलों को बरकरार रखा गया.