Wednesday, December 25, 2024
Homeताजा खबरबॉम्बे हाईकोर्ट ने RSS से जुड़े मानहानि मामले में की टिप्पणी,कहा-'राहुल गांधी...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने RSS से जुड़े मानहानि मामले में की टिप्पणी,कहा-‘राहुल गांधी के पास शीघ्र निर्णय पाने का वैध अधिकार’

मुंबई, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों के लिए 2014 की मानहानि की शिकायत पर गुण-दोष के आधार पर शीघ्र निर्णय पाने का वैध अधिकार है.न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चह्वाण की एकल पीठ ने 12 जुलाई को दिए आदेश में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 हर किसी को त्वरित सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है और एक स्वतंत्र व निष्पक्ष सुनवाई आवश्यक है.

राहुल गांधी की याचिका पर कोर्ट ने की ये टिप्पणी

अदालत ने RSS कार्यकर्ता को आपराधिक मानहानि की एक लंबित शिकायत में नए और अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की अनुमति देने वाले मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने की राहुल की याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की.इस आदेश की विस्तृत प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई.

RSS कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने 2014 में भिवंडी में मजिस्ट्रेट अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता ने एक भाषण के दौरान झूठा और अपमानजनक बयान दिया था कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए संघ जिम्मेदार है.मजिस्ट्रेट अदालत ने 2023 में कुंटे को राहुल गांधी के भाषण की प्रतिलिपि प्रस्तुत करने की अनुमति दी.राहुल का भाषण 2014 में दायर उनकी उस याचिका का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ जारी समन को रद्द करने की मांग की थी.कुंटे ने तर्क दिया कि प्रतिलिपि को अपनी याचिका में शामिल करके, राहुल गांधी ने ‘स्पष्ट रूप से भाषण और इसकी सामग्री का स्वामित्व प्राप्त कर लिया है.

कोर्ट ने आदेश में याचिकाकर्ता पर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी,न्यायमूर्ति चह्वाण ने अपने आदेश में कुंटे पर सवाल उठाया और कहा कि उनके आचरण के कारण इस मामले में अनावश्यक रूप से देरी हो रही है तथा उसे लंबा खींचा जा रहा है.

हाईकोर्ट ने कहा,”प्रतिवादी संख्या 2 (कुंटे) भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर शिकायत के गुण-दोष के आधार पर उस पर जल्द से जल्द निर्णय पाने के याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) के वैध अधिकार को रोकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं”.संविधान का अनुच्छेद 21 त्वरित सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है.

HC ने निचली अदालत का आदेश रद्द करते हुए कही थी ये बात

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि मजिस्ट्रेट ने कुंटे को साक्ष्य के रूप में दस्तावेजों पर भरोसा करने की अनुमति देते समय आपराधिक न्यायशास्त्र के मूल सिद्धांत की पूरी तरह से अवहेलना की है.पीठ ने मजिस्ट्रेट को यह भी निर्देश दिया कि वह शिकायत पर शीघ्र निर्णय लें और उसका निपटारा करें क्योंकि यह एक दशक से लंबित है.

राहुल गांधी ने अपनी याचिका में किया ये दावा

राहुल गांधी ने अपनी याचिका में दावा किया कि 2021 में हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने कुंटे को मामले में कोई भी नया दस्तावेज जमा करने की इजाजत नहीं दी थी.हालांकि, इसके बावजूद मजिस्ट्रेट ने शिकायत के हिस्से के रूप में दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी.कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कुंटे को इस स्तर पर नये दस्तावेज प्रस्तुत करने की अनुमति देने वाला मजिस्ट्रेट का आदेश पूरी तरह से अवैध और पूर्वाग्रही’ है”

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments