National Herald Case : नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को मंगलवार को निरस्त कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस को नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने दिल्ली पुलिस की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश को चुनौती दी गई।
दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मामले में नामजद अन्य व्यक्ति प्राथमिकी की प्रति पाने के हकदार नहीं हैं। न्यायाधीश ने हालांकि यह आदेश दिया कि आरोपियों को यह सूचना दी जा सकती है कि प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। दिल्ली पुलिस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की थी। यह शिकायत गांधी परिवार पर व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का ‘‘दुरुपयोग’’ करने के आरोपों से जुड़ी संघीय जांच एजेंसी के धनशोधन मामले की जांच के हिस्से के रूप में दर्ज की गई है।
पुलिस ने प्राथमिकी में आपराधिक साजिश, संपत्ति का बेईमानी से उपयोग, आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी के आरोपों का उल्लेख किया है। प्राथमिकी में सोनिया और राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेताओं सुमन दुबे और सैम पित्रोदा, ‘यंग इंडियन’ (वाईआई) और ‘डोटेक्स मर्चेंडाइज लिमिटेड’, डोटेक्स के प्रवर्तक सुनील भंडारी, ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) तथा कुछ अन्य अज्ञात के नाम शामिल हैं। अज्ञात आरोपियों को छोड़कर, ये सभी इकाइयां अप्रैल में दिल्ली की एक अदालत में दाखिल प्रवर्तन निदेशालय के आरोपपत्र में भी आरोपी के रूप में नामजद हैं।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने धनशोधन निवारण अधिनियम की धारा 66(2) के तहत उपलब्ध शक्तियों का उपयोग करते हुए पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई। यह धारा केंद्रीय एजेंसी को किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ साक्ष्य साझा करने की अनुमति देती है ताकि मूल आपराधिक अपराध से संबंधित मामला दर्ज किया जा सके और उसके बाद धनशोधन का मामला दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाया जा सके। इस बीच अदालत ने ‘नेशनल हेराल्ड’ मामले में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पांच अन्य के खिलाफ धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि इस मामले में दाखिल आरोपपत्र एक निजी व्यक्ति की शिकायत पर की गई जांच पर आधारित है, न कि किसी मूल अपराध से संबंधित प्राथमिकी पर। उन्होंने कहा कि कानून के तहत इस पर संज्ञान लेना स्वीकार्य नहीं है।




