Land Pooling Policy : चंडीगढ़। पंजाब मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को ‘लैंड पूलिंग’ नीति को गैर-अधिसूचित करने को मंजूरी दे दी, जिसे सरकार ने कुछ दिन पहले वापस ले लिया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। भगवंत मान सरकार द्वारा नीति वापस लेने के बाद भी किसान संगठन और विपक्षी दल राज्य सरकार पर नीति वापस लेने की अधिसूचना जारी करने का दबाव बना रहे थे। किसान संगठनों और विपक्षी दलों के बढ़ते दबाव के चलते पंजाब सरकार ने 11 अगस्त को लैंड पूलिंग नीति वापस ले ली, जिसे उसने कभी ‘किसान-हितैषी’ बताया था।
विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने इस नीति को भूमि ‘हड़पने’ की योजना बताया था। इस नीति को वापस लिए जाने के बाद उन्होंने इसे पंजाब के लोगों की जीत बताया था और दावा किया था कि उन्होंने भगवंत मान सरकार को इसे वापस लेने के लिए ‘मजबूर’ किया। कुछ दिन पहले पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने लैंड पूलिंग नीति के क्रियान्वयन पर चार सप्ताह के लिए अंतरिम रोक लगा दी थी। न्यायालय ने सात अगस्त को कहा था कि पंजाब की लैंड पूलिंग नीति जल्दबाजी में अधिसूचित की गई प्रतीत होती है, और इसकी अधिसूचना जारी करने से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन और पर्यावरण प्रभाव आकलन समेत विभिन्न चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए था।
पंजाब मंत्रिमंडल ने जून में इस लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दी थी और कहा था कि भूमि मालिकों से जबरदस्ती एक गज जमीन भी अधिग्रहित नहीं की जाएगी। राज्य सरकार ने आवासीय व औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए लुधियाना में ही लगभग 45,000 एकड़ भूमि समेत कई स्थानों पर लगभग 65,000 एकड़ भूमि अधिग्रहीत करने की योजना बनाई थी। राज्य सरकार ने कहा था कि नीति के तहत, मालिक को एक एकड़ भूमि के बदले में 1,000 वर्ग गज का आवासीय भूखंड और पूरी तरह से विकसित भूमि पर 200 वर्ग गज का व्यावसायिक भूखंड दिया जाएगा।