चित्तौड़गढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चित्तौड़गढ़ पहुंच गए हैं। उन्होंने यहां सांवलिया सेठ मंदिर में दर्शन करने के बाद मेला ग्राउंड में कुछ प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन किया। मोदी ने कहा कि इन परियोजनाओं से राजस्थान को बहुत फायदा होगा। राजस्थान में हो रहे कामों पर थोड़ी देर बाद विस्तार से बात करुंगा, खुले मैदान में बात करने का मजा अलग होता है। यहां बंधन में बंधे रहते हैं।
आपको बता दें मोदी के चित्तौड़गढ़ में 2 कार्यक्रम हैं। 7 दिन में PM मोदी का राजस्थान में यह दूसरा दौरा है।
PM मोदी ने इन प्रोजेक्ट्स का किया वर्चुअल उद्घाटन-
– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कोटा का स्थाई कैंपस
– मेहसाणा-बठिंडा गैस पाइपलाइन परियोजना का पाली हनुमानगढ़ खंड
– इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का अजमेर में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट
– आबूरोड में हिंदुस्तान पेट्रोलियम का एलपीजी प्लांट
– स्वेदश दर्शन योजना के अंतर्गत नाथद्वारा में पर्यटन सुविधाओं का विकास
– नेशनल हाइवे-52 पर दरा-झालावाड़ तीनधार खंड पर निर्मित 4 लेन सड़क
– चित्तौड़गढ़-नीमच रेल लाइन का दोहरीकरण
– चित्तौड़गढ़-कोटा रेल लाइन का विद्युतीकरण
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने सवाईमाधोपुर शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग-552E के 76 किमी पर रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण और चौड़ीकरण के कार्य का शिलान्यास किया।
मेवाड़ यानी उदयपुर संभाग। इसमें 6 जिले बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, राजसमंद, उदयपुर और प्रतापगढ़ शामिल है। मेवाड़-वागड़ संभाग में कुल 28 विधानसभा सीटें हैं। जहां पर बीजेपी का दबदबा है। 2018 के चुनाव में 28 में से 15 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जबकि 10 सीटों पर कांग्रेस और 3 पर अन्य जीते थे। मोदी रैली के जरिए मेवाड़ के गढ़ को और मजबूत करेंगे।
जिसने मेवाड़ को जीत लिया, उसने राजस्थान जीत लिया… राजनीति में राजस्थान को लेकर ये कहावत काफी मशहूर है। शायद यही कारण है कि मेवाड़ में कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक, सभी सियासी दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। मेवाड़ के पुराने चुनावी परिणाम को देखें तो पाएंगे कि साल 2018 के रिजल्ट के अलावा पिछले सभी चुनावों में वही पार्टी सत्ता में है, जिसने इस संभाग में जीत हासिल की हो।
साल 2003 में परिसीमन से पहले 25 सीटों में से भाजपा को 18 और कांग्रेस को 5 सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा सत्ता में आई थी। साल 2008 में इस संभाग से कांग्रेस ने 19 और भाजपा ने 7 सीटें जीती थीं, इस बार राज्य में कांग्रेस सत्ता में आई थी। साल 2013 में 28 में से भाजपा ने 25 सीटें अपने नाम की थी, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिली थी। उस वक्त राजस्थान में भी भाजपा की ही सरकार सत्ता में आई थी। और साल 2018 में पहली बार ऐसा हुआ, जब भाजपा को 15 सीटें मिली और कांग्रेस को 10 सीटें, फिर भी राज्य में सरकार कांग्रेस की बनी।