नई दिल्ली। कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक वार्षिक रक्षा नीति विधेयक पर हस्ताक्षर किए जाने का हवाला देते हुए शनिवार को दावा किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में पारित ‘‘शांति’’ विधेयक का मकसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ‘‘उनके अच्छे मित्र रहे ट्रंप के बीच शांति बहाल करना था। कल शुक्रवार को संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों द्वारा भारत के रूपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी गई।
पीएम ने संसद के माध्यम से शांति विधेयक को क्यों पारित करवाया : कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में अमेरिकी वित्त वर्ष 2026 के लिए ‘नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट’ पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अधिनियम 3,100 पृष्ठों का है। पृष्ठ संख्या 1912 में परमाणु दायित्व नियमों पर अमेरिका और भारत के बीच संयुक्त मूल्यांकन का संदर्भ है। उन्होंने दावा किया, अब हम निश्चित रूप से जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में संसद के माध्यम से शांति विधेयक को क्यों पारित करवाया, जिसमें अन्य बातों के अलावा, परमाणु क्षति अधिनियम, 2010 के लिए नागरिक दायित्व के प्रमुख प्रावधानों को हटा दिया गया था, जिसे संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
President Trump has just signed the National Defence Authorization Act for the US Fiscal Year 2026.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 20, 2025
The Act is 3100 pages long. Page 1912 has a reference to the joint assessment between the United States and India on Nuclear Liability Rules.
Now we know for sure why the Prime… pic.twitter.com/bGdAOXh9pA
रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह विधेयक पारित कराने का मकसद प्रधानमंत्री के कभी अच्छे मित्र रहे ट्रंप के साथ शांति बहाल करना था। उन्होंने कहा, शांति अधिनियम को ट्रंप अधिनियम – रिएक्टर उपयोग और प्रबंधन वादा अधिनियम कहा जा सकता है। ट्रंप ने एक वार्षिक रक्षा नीति विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है।
बीते बृहस्पतिवार को हस्ताक्षरित ‘नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट फॉर फिस्कल ईयर’ 2026 में युद्ध मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय के राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों और अन्य कार्यकारी विभागों व एजेंसियों के लिए वित्त वर्ष की धनराशि आवंटित करने का निर्देश दिया गया है।




