नई दिल्ली। मणिपुर में जातीय हिंसा के मीडिया कवरेज का अध्ययन करने वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तथ्यान्वेषी समिति के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने की सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) ने निंदा की। PCI ने यहां एक बयान में कहा यह राज्य में शांति बहाल करने के कदम उठाने के बजाय संदेशवाहक को ही निशाने पर लेने का मामला है। हम मांग करते हैं कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और इसके 3 सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी तत्काल वापस ली जाए।
मणिपुर पुलिस ने चारों पर करीब 4 महीने से हिंसाग्रस्त राज्य में कथित रूप से और संघर्ष भड़काने की कोशिश करने का मामला दर्ज किया है। PCI ने दावा किया कि मणिपुर पुलिस ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए लगाई है जबकि उच्चतम न्यायालय इसे खारिज कर चुका है। उसने कहा कि राज्य सरकार की यह कार्रवाई देश के शीर्ष मीडिया निकाय को धमकाये जाने के समान है।
एडिटर्स गिल्ड ने पिछले सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट में मणिपुर में मीडिया कवरेज की आलोचना की थी। गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया में आयी खबरें एकतरफा हैं। इसके साथ ही उसने राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) पर राज्य में संघर्ष भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने संस्था की अध्यक्ष और 3 सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और 3 सदस्य – सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर शामिल हैं।