नई दिल्ली, योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि जो हुआ उसके लिए माफी मांगते हैं, भविष्य में ऐसा नहीं होगा,सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि सर्वोच्च अदालत ही नहीं, देश की किसी भी अदालत का आदेश हो, उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने पतंजलि की माफी को स्वीकार नहीं किया है.कोर्ट ने यह भी कहा कि देश सेवा की आड़ में अदालत की अवमानना नहीं की जा सकती.आश्चर्य है कि जब पतंजलि कंपनी जोर-शोर से यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है तब सरकार ने अपनी आंखें बंद क्यों रखी,अदालत ने कहा कि आपने क्या किया है,आपको उसका अंदाजा नहीं है.हम अवमानना की कार्यवाही करेंगे.इस मामले की 10 अप्रैल को दोबारा सुनवाई होगी. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा.
कोर्ट ने पहले भी जताई थी नाराजगी
आपको बता दें कि रामदेव और आचार्य बालकृष्ण उस कारण बताओ नोटिस के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को पेश हुए जिसमें पूछा गया था कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए.न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में 19 मार्च को रामदेव और बालकृष्ण से व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष पेश होने को कहा था.पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिस का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
दरअसल सप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को पतंजलि को उसके दवाओं के असर को लेकर कोई भ्रामक विज्ञापन नहीं जारी करने का निर्देश दिया था.पंतजलि ने भी कोर्ट के सामने ऐसा नहीं करने का वचन दिया था.बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पतंजलि ने कुछ विज्ञापन जारी कर और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित उसके निर्देशों का उल्लंघन किया है.
यह मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया.पीठ ने कहा-”क्या दोनों उपस्थित है?,रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे दोनों अदालत में हैं, पीठ ने कहा कि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन देश के ”कानून के दायरे” में हैं.