नई दिल्ली, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संविधान पर चर्चा करते हुए जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी समेत कांग्रेस नेताओं पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा- पूर्व में हुए संविधान संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे.
निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर साधा निशाना
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था. 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता पढ़ी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई थी और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा. उन्होंने इसके लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन 2 लोगों तक ही सीमित नहीं है. 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई एक राजनीतिक जीवनी “नेहरू” पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्होंने “किस्सा कुर्सी का” नामक फिल्म पर भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाया गया था.”
परिवार, वंश की मदद के लिए संविधान संशोधन : सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर शाह बानो प्रकरण और आपातकाल से जुड़े विभिन्न संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर एक परिवार के हित में संविधान में संशोधन करते रहने का आरोप लगाया. कहा कि इन संविधान संशोधनों के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने ना तो प्रक्रिया का पालन किया और ना ही संविधान की भावना का कोई सम्मान किया. उन्होंने सहयोगी दलों के दवाब में महिला आरक्षण विधेयक पारित नहीं करने के लिए कांग्रेस को महिला विरोधी भी करार दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लगभग 50 वर्षों तक पिछली कांग्रेस सरकारों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत नहीं किया. हर बार कांग्रेस ने संविधान में संशोधन किए. केवल परिवार, वंश की मदद करने के लिए. संविधान में संशोधन करते रहे.”
सीतारमण ने कहा, ” मैं ऐसे राजनीतिक नेताओं को जानती हूं जिन्होंने उन काले दिनों को याद करने के लिए अपने बच्चों का नाम MISA के नाम पर रखा है और अब उन्हें उनके साथ गठबंधन करने में भी कोई आपत्ति नहीं होगी.’
भारत का संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा : सीतारमण
सीतारमण ने कहा कि भारत का संविधान ”समय की कसौटी पर खरा उतरा है. आज हम भारत के लोकतंत्र के विकास पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश के संविधान के 75 साल पूरे हो रहे हैं और यह समय भारत के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का है, जो इस पवित्र दस्तावेज में निहित भावना को बनाए रखेगा.”
राज्यसभा में ‘भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री ने 15 महिलाओं सहित संविधान सभा के 389 सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में भारत का संविधान तैयार किया था.