UNGA : संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सेना ने ही संघर्ष रोकने की अपील की थी और नयी दिल्ली व इस्लामाबाद के बीच किसी भी मुद्दे पर “किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।” संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने कहा, इस सभा में आज सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का बेतुका बयान सुनने को मिला। शरीफ ने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया, जो उनकी विदेश नीति के केंद्र में है।
गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हालिया संघर्ष को लेकर एक अजीब कहानी पेश की, जबकि भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 आम नागरिकों की मौत के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। भारत ने कहा, नौ मई तक पाकिस्तान भारत पर और हमले करने की धमकी दे रहा था। लेकिन 10 मई को उसकी सेना ने सीधे हमसे संघर्ष रोकने की अपील की। इस बीच भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस नष्ट कर दिए थे। उस तबाही की तस्वीरें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण के बाद पाकिस्तान की कड़ी आलोचना
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण के बाद पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। शरीफ ने अपने भाषण में दावा किया कि हालिया संघर्ष में उनका देश “युद्ध जीत गया।” उन्होंने संघर्ष रोकने को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता का परिणाम बताया और साथ ही कश्मीर मुद्दा भी उठाया। शरीफ ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए यह भी दावा किया कि मई में चार दिन तक चले संघर्ष के दौरान “भारत के सात विमान क्षतिग्रस्त हुए थे।
भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर तबाह हुए रनवे और राख में बदल चुके हैंगर (हवाई जहाज रखने की जगह) पाकिस्तान को जीत लगते हैं, जैसा कि उसके प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान खुश हो सकता है। गहलोत ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं द्वारा बहावलपुर और मुरिदके में स्थित आतंकी ठिकानों में मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें सामने आई हैं।उन्होंने यह भी कहा, जब पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य और नागरिक अधिकारी खुलेआम इन कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, तो इस सरकार की मानसिकता पर कोई शक रह ही नहीं जाता।
दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं
गहलोत ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ मुरिदके में स्थित लश्कर मुख्यालय पर हुए हमलों में मारे गए लोगों के जनाजे में नमाज अदा करवा रहा था। इस जनाजे में पाकिस्तान सेना के सदस्य भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, याद दिला दें कि पाकिस्तान ने एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी, जबकि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साझेदार बनने का दिखावा करता रहा। इसके मंत्रियों ने हाल ही में खुद स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकी शिविर संचालित कर रहे हैं।
भारत ने दोहराया कि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच के मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है। गहलोत ने कहा, भारत और पाकिस्तान लंबे समय से इस बात पर सहमत हैं कि उनके बीच के किसी भी लंबित मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाएगा। इस प्रक्रिया में किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई स्थान नहीं है। भारत लगातार यह कहता आया है कि संघर्षविराम पर सहमति दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी।