Online Gaming Bill : भारत के ऑनलाइन स्किल-गेमिंग क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकायों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उस मसौदा विधेयक के खिलाफ ‘तत्काल हस्तक्षेप’ का अनुरोध किया है, जिसमें धन से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग या इसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रावधान हैं। महासंघों ने एक संयुक्त पत्र में आगाह किया कि इस तरह का पूर्ण प्रतिबंध उद्योग के लिए ‘‘ताबूत में आखिरी कील’’ है जिससे नौकरियां खत्म होंगी और करोड़ों उपयोगकर्ता अवैध विदेशी सट्टेबाजी एवं जुआ मंचों की ओर धकेले जाएंगे। अखिल भारतीय गेमिंग महासंघ (एआईजीएफ), ई-गेमिंग महासंघ (ईजीएफ) और भारतीय फैंटेसी खेल महासंघ (एफआईएफएस) की ओर से 19 अगस्त को लिखा गया यह पत्र गृह मंत्री अमित शाह को भेजा गया।
उद्योग जगत ने विधेयक को लेकर जताई चिंता
पत्र में कहा गया है कि ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग एक ‘उभरता हुआ क्षेत्र’ है, जिसका उद्यम मूल्यांकन दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है। वार्षिक राजस्व 31,000 करोड़ रुपये से अधिक है। यह प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में सालाना 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देता है। इसके 20 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने का अनुमान है, जो 2028 तक दोगुना हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि भारतीय ऑनलाइन ‘गेमर्स’ की कुल संख्या 2020 में 36 करोड़ से बढ़कर 2024 में 50 करोड़ से अधिक हो गई। उद्योग ने जून 2022 तक 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है। साथ ही यह उद्योग वर्तमान में दो लाख से अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नौकरियों का समर्थन करता है।
उद्योग निकायों ने कहा, इस तरह का पूर्ण प्रतिबंध इस वैध, रोजगार सृजक उद्योग के लिए ताबूत में आखिरी कील होगा तथा भारतीय उपयोगकर्ताओं एवं नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। पत्र में कहा गया है, अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो इससे भारतीय उपयोगकर्ताओं और नागरिकों को गंभीर नुकसान होगा। विनियमित एवं जिम्मेदार भारतीय मंच बंद होने से करोड़ों लोग अवैध मटका नेटवर्क, विदेशी जुआ वेबसाइट और बिना किसी सुरक्षा उपाय, उपभोक्ता संरक्षण या कराधान के बिना काम करने वाले नेटवर्क का रुख करेंगे। उद्योग निकायों ने जोर देकर कहा कि प्रतिबंध से वैश्विक निवेश एवं निवेशक भावना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप 400 से अधिक कंपनियां बंद हो जाएंगी और डिजिटल नवप्रवर्तक के रूप में भारत की स्थिति कमजोर होगी।
पत्र में आगाह किया गया कि लोगों की सुरक्षा करने के बजाय, यह विधेयक उन्हें धोखाधड़ी, शोषण एवं असुरक्षित प्रथाओं के प्रति संवेदलशील बनाने का जोखिम उत्पन्न करता है जिससे अंततः अवैध विदेशी संचालकों को मदद मिल सकती है। इसमें कहा गया है, इस विधेयक का एकमात्र लाभार्थी अवैध विदेशी जुआ संचालक होंगे। अगर वैध भारतीय व्यवसाय बंद हो जाते हैं, तो अनियमित संस्थाएं इसकी जगह लेंगी। इससे राज्य और राष्ट्रीय कर राजस्व में कमी आएगी और भारतीय उपयोगकर्ता अनियमित मंचों के संपर्क में आ जाएंगे। निकायों ने प्रतिबंध नहीं बल्कि प्रगतिशील विनियमन ’’ की वकालत करते हुए केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक का अनुरोध किया ताकि वे अपना मामला पेश कर पाएं और उन समाधानों पर चर्चा कर सकें, जो उपयोगकर्ताओं एवं उद्योग की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदार गेमिंग सुनिश्चित करेंगे।
इस पत्र पर एआईजीएफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रोलांड लैंडर्स, एफआईएफएस के महानिदेशक जॉय भट्टाचार्य और ईजीएफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अनुराग सक्सेना ने हस्ताक्षर किए। गौरलतब है कि मंगलवार को एक सूत्र ने बताया था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक को मंजूरी दे दी। इसमें धन से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग या इसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान के साथ इन्हें पेश करने या विज्ञापन देने वालों के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है।