Delhi Pollution : नई दिल्ली। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के तहत प्रतिबंध समाप्त होने के बाद भी दिल्ली सरकार वाहनों के लिए अपनी ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नीति जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि सरकार शहर भर में जल निकायों के पुनरुद्धार के लिए 100 करोड़ रुपये भी आवंटित करेगी।
वायु प्रदूषण रोधी उपायों का कड़ाई से पालन जारी : सिरसा
सिरसा ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद भी वायु प्रदूषण रोधी उपायों का कड़ाई से पालन जारी रहेगा और प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र के बिना किसी भी वाहन को शहर में चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि निरीक्षण से पता चला है कि कई पीयूसी केंद्र काम नहीं कर रहे थे और 12 केंद्रों के उपकरणों में खामियां पाई गईं। मंत्री ने कहा कि इन केंद्रों की सेवा निलंबित कर दी गई है और नोटिस जारी किए गए हैं। सिरसा ने कहा, यदि कोई भी नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने कहा कि दिल्ली में लगभग 1,000 जल निकाय हैं जिनका पुनरुद्धार करने की आवश्यकता है, और सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने बताया कि चार नए वाहन उत्सर्जन परीक्षण केंद्रों को मंजूरी दी गई है।
2.12 लाख से अधिक नए पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किए गए
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि पिछले चार दिन में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के उपायों को कड़ाई से लागू करने के बाद 2.12 लाख से अधिक नए पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। इसी अवधि के दौरान, लगभग 10,000 वाहन अनिवार्य उत्सर्जन परीक्षण में विफल रहे। मंत्री ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और घर से काम करने के निर्देशों का उल्लंघन करने वाले निजी कार्यालयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। सिरसा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले चार दिन में जीआरएपी के चौथे चरण के तहत लगाए गए सख्त प्रतिबंधों से परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं।
10,000 वाहन अनिवार्य उत्सर्जन परीक्षण में विफल
उन्होंने बताया कि “पीयूसी नहीं तो ईंधन नहीं” का नियम लागू होने के बाद से दो लाख से ज्यादा नए प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र जारी किए गए, जबकि इसी अवधि के दौरान, लगभग 10,000 वाहन अनिवार्य उत्सर्जन परीक्षण में विफल रहे। सिरसा ने क्रियान्वयन संबंधी अभियान को तेज करने की घोषणा करते हुए कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों और उद्योगों को अब बिना किसी पूर्व सूचना के सील कर दिया जाएगा। उन्होंने चेताया कि जो उद्योग 31 दिसंबर की समय सीमा तक अनिवार्य ऑनलाइन मंजूरी प्रबंधन (ओसीएम) के लिए आवेदन करने में विफल रहेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सिरसा ने यह भी कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) अवैध और अनधिकृत औद्योगिक इकाइयों को संयुक्त रूप को चिह्नित कर रही हैं और ऐसी सभी इकाइयों को बंद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी उद्योग को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि विलंब को कम करने और सटीक उत्सर्जन परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए सभी पीयूसी केंद्रों को आधुनिक, उच्च क्षमता वाले उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है। इसके साथ ही पारदर्शिता बढ़ाने के लिए तृतीय-पक्ष निरीक्षण तंत्र भी शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग की तकनीकी टीम अनियमितताओं को रोकने के लिए निरंतर निगरानी कर रही हैं।
35,000 मीट्रिक टन कचरे का प्रसंस्करण
मंत्री ने यह भी कहा कि धूल नियंत्रण के लिए चौबीसों घंटे मशीनों से सड़क की साफ-सफाई और पानी का छिड़काव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन लगभग 35,000 मीट्रिक टन कचरे का प्रसंस्करण किया जा रहा है। मंत्री ने निजी कंपनियों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों और घर से काम करने के नियमों का पालन करने की चेतावनी दी। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य पिछले कुछ वर्षों में लुप्त हो चुके कम से कम 50 प्रतिशत जलाशयों का फिर से कायाकल्प करना है। उन्होंने पिछली सरकार पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल के दौरान सरकार ने दिल्ली के प्रदूषण संकट को नजरअंदाज किया।




