New Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 फरवरी को नये आयकर विधेयक को मंजूरी दी थी, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा.
विरोध के बीच पेश हुआ आयकर विधेयक 2025
सदन में विधेयक पेश किए जाने का तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया. वित्त मंत्री ने सदस्यों की आपत्तियों के बीच विधेयक सदन में प्रस्तुत किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया.
क्यों लाया गया नया इनकम टैक्स बिल ?
नया विधेयक प्रत्यक्ष कर कानून को समझने में आसान बनाने और कोई नया कर बोझ नहीं लगाने की एक कवायद है. इसमें प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे. नया अधिनियम उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं. साथ ही इसकी भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे कर विशेषज्ञों की सहायता के बिना समझ सकेंगे.
क्या होगा बदलाव ?
नए इनकम टैक्स बिल में पन्नों की संख्या 880 की जगह 622 की गई. नये बिल में 536 धाराएं हैं. इसमें 23 चैप्टर हैं. इस बिल के पारित होने के बाद नया आयकर कानून अधिक व्यवस्थित और वर्तनाम कानून की तुलना में सरल होगा.
नए इनकम टैक्स बिल में फाइनेंशियल ईयर, प्रीवियस ईयर, असेसमेंट ईयर जैसे शब्दों की जगह ‘Tax Year’ शब्द का उपयोग किया जाएगा.
नए इनकम टैक्स बिल में भी पेंशन, एनपीएस और इंश्योरेंस पर टैक्स लगना जारी रहेगा. रिटायरमेंट फंड, ग्रेच्युटी और पीएफ कंट्रीब्यूशन को भी टैक्स के दायरे में रखा गया है.
टैक्स चोरी करने पर जुर्माने का प्रावधान है. वहीं टैक्स चोरी के अलावा भी कोई अगर गलत कदम उठाता है तो उस पर भी जुर्माना का प्रावधान है. साथ ही उस व्यक्ति को टैक्स नोटिस भी भेजा जा सकता है.
न्यू इनकम टैक्स बिल में कृषि आय को कुछ शर्तों के तहर कर मुक्त रखा गया है. धार्मिक ट्रस्ट, संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर कर छूट मिलेगी.
अगर किसी व्यक्ति की कमाई कैपिटल गेन में होती है तो उसे टैक्स देना होगा. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के तरह 20 % का टैक्स देना होगा. वहीं लंबी अवधि कैपिटल गेन के तहत 12.5 % टैक्स देना होगा.
बजट भाषण में की थी घोषणा
गौरतलब है कि नए विधेयक की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में की थी. छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने वाला नया आयकर विधेयक प्रत्यक्ष कर कानूनों को पढ़ने-समझने में आसान बनाएगा, अस्पष्टता दूर करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा.
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