चीन में मिली जमीन से 600 फीट नीचे बसी है अनोखी दुनिया
लेये फेंगशान यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क में वैज्ञानिकों ने खोजा संभवतया दुनिया का सबसे गहरा सिंकहोल
चीन में जमीन से करीब 630 फीट नीचे एक विशाल और अनोखी दुनिया की खोज की गई है। इस प्राचीन वन संसार को देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। यह सिंकहोल लेय फेंगशान में वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया है। इसकी लंबाई 306 मीटर, चौड़ाई 150 मीटर और गहराई 192 मीटर बताई जा रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कभी पशु प्रजातियों का घर रहा होगा। जानकारी के अनुसार पिछले साल मई में वैज्ञानिकों को चीन के लेय फेंगशान यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क में एक भूमिगत रहस्यमय गुफा का पता चला था। इसके बाद इसे ‘तियानकेंग’ यानी स्वर्गीय गड्ढे का नाम दिया गया। यह पार्क दक्षिण-पश्चिमी चीन के गुआंग्शी ज़ुआंग स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है।
इसलिए है यूनेस्को धरोहर में शामिल
जियोपार्क यूनेस्को धरोहरों में शामिल है। यहां 3000 मीटर मोटी चट्टानों में से करीब 60 प्रतिशत चट्टानें पर्मियन कार्बोनेट की हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार आदिम जंगल पहले अज्ञात पौधों और जानवरों की प्रजातियों का घर होगा।
चीन में मिल चुके हैं कई सिंकहोल
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब चीन में सिंकहोल मिला है। इससे पहले भी यहां कई सिंकहोल मिल चुके हैं। चीनी सरकार की सरकारी स्वामित्व वाली समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक आधिकारिक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया कि नई खोज से काउंटी में सिंकहोल्स की संख्या 30 हो गई है।
अद्भुत है सिंकहोल का नजारा
चाइना जियोलॉजिकल सर्वे के इंस्टीट्यूट ऑफ कार्स्ट जियोलॉजी के एक वरिष्ठ इंजीनियर झांग युआनहाई ने बताया कि साइट के नीचे एक अच्छी तरह से संरक्षित आदिम जंगल है। इसकी दीवारों में तीन गुफाएं थीं। ये 5 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक का क्षेत्र है। जिसका अर्थ है कि इसे आधिकारिक तौर पर बड़े सिंकहोल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यहां अनगिनत पेड़ पौधे हैं। प्राचीन पेड़ करीब 40 मीटर तक ऊंचे हैं।
कई घंटों की ट्रैकिंग करके पहुंचे नीचे
इस अभियान में शामिल टीम के लिए सिंकहोल के तल तक पहुंचना आसान नहीं था। उन्हें कई किलोमीटर चलना पड़ा और कई घंटों की ट्रैकिंग के बाद वे सिंकहोल के तल तक पहुंच सके। वैज्ञानिकों का कहना है कि सिंकहोल के अंदर का अनोखा जंगल किसी काल्पनिक फिल्म के सेट जैसा सुंदर और शानदार है। यह इतना चौड़ा है कि इसकी गहराई तक सूरज की रोशनी पहुंच रही थी। गौरतलब है कि सिंकहोल आमतौर पर भूजल द्वारा आधारशिला के विघटन से बनते हैं।