Nepal Protests : काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया जाना दुनिया भर में और यहां तक कि लोकतांत्रिक देशों में भी इसपर अंकुश लगाने के लिए किये जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह ‘फेसबुक’, ‘एक्स’ और ‘यूट्यूब’ समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा रही है क्योंकि ये कंपनियां पंजीकरण कराने की अनिवार्यता का पालन करने में विफल रही हैं। हालांकि, जबर्दस्त विरोध प्रदर्शनों के एक दिन बाद मंगलवार को यह प्रतिबंध हटा लिया गया। कॉर्नेल विश्वविद्यालय में सूचना विज्ञान के सहायक प्रोफेसर आदित्य वशिष्ठ ने कहा कि नेपाल में जो कुछ हो रहा है, वह विमर्श को नियंत्रित करने और जमीनी स्तर पर उभर रहे विचारों को नियंत्रित करने के इस व्यापक पैटर्न को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में ऐसा कई बार हो चुका है।
सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए कानून बनाने की मांग
वशिष्ठ ने कहा, तो यह कोई नई बात नहीं है, असल में, मैं कहना चाहूंगा कि यह सोशल मीडिया पर चल रहे विमर्श को नियंत्रित करने की एक बखूबी स्थापित रणनीति के तहत किया गया है। पड़ोसी देशों की तरह, नेपाल सरकार भी सोशल मीडिया कंपनियों से देश में एक मध्यस्थ अधिकारी नियुक्त करने के लिए कह रही है। नेपाल में अधिकारी सोशल मीडिया पर निगरानी रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं कि उपयोगकर्ता और संचालक, दोनों ही अपनी ओर से साझा की जाने वाली सामग्री के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह हों। लेकिन इस कदम को सेंसरशिप और ऑनलाइन विरोध दर्ज कराने वाले विरोधियों को दंडित करने का हथकंडा बताते हुए इसकी आलोचना की जा रही।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने में सरकारों की रुचि जायज : वेस्टिंसन
वाशिंगटन स्थित गैर-लाभकारी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ में प्रौद्योगिकी और लोकतंत्र के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट कियान वेस्टिंसन ने कहा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने में सरकारों की रुचि जायज है। और अधिकारियों का यह कहना कि हम इसके लिए नियम बनाना चाहते हैं, बिल्कुल उचित है। उन्होंने कहा, लेकिन नेपाल में हम देख रहे हैं कि सोशल मीडिया कंपनियों पर नियम लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाने से उन्हें बेतहाशा नुकसान हो रहा है। नेपाल में लागू किए गए इन उपायों ने करोड़ों लोगों को उन प्लेटफॉर्म से दूर कर दिया है जिनका इस्तेमाल वे अपनी अभिव्यक्ति के लिए, रोजमर्रा के कामकाज के लिए, अपने परिवारों से बात करने के लिए, स्कूल जाने के लिए और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं।
यह सिर्फ नेपाल की बात नहीं है। ‘फ्रीडम हाउस’ ने पाया है कि 2024 में लगातार 14वें साल वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में गिरावट आई है, क्योंकि सरकारें असहमति की आवाज पर नकेल कस रही हैं और लोगों को ऑनलाइन माध्यम से राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक विचार व्यक्त करने पर गिरफ्तारी का सामना करना पड़ रहा है। चीन लगातार इंटरनेट स्वतंत्रता के लिए ‘‘दुनिया के सबसे खराब माहौल’’ की सूची में सबसे ऊपर है, पिछले साल म्यांमा इस मामले में शीर्ष स्थान पर था। हालांकि, संगठन नेपाल पर नजर नहीं रखता।
21वीं सदी का लोकतंत्र एक भरोसेमंद ऑनलाइन वातावरण के बिना काम नहीं कर सकता
जनवरी में, पाकिस्तान की संसद के निचले सदन ने एक विधेयक पारित किया, जो सरकार को सोशल मीडिया पर व्यापक नियंत्रण प्रदान करता है, जिसमें गलत सूचना फैलाने पर (सोशल मीडिया) उपयोगकर्ताओं को जेल भेजना भी शामिल है। इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी को ‘‘आधुनिक लोकतंत्र का आधार’’ बताते हुए, ‘फ्रीडम हाउस’ ने कहा कि 21वीं सदी का लोकतंत्र एक भरोसेमंद ऑनलाइन वातावरण के बिना काम नहीं कर सकता, जहां लोग जानकारी प्राप्त कर सकें और अपनी बात खुलकर कह सकें। हालांकि, सरकारें तेजी से बाधाएं खड़ी कर रही हैं।
वेस्टिंसन ने कहा कि अक्सर नियम बाल सुरक्षा, साइबर अपराध या धोखाधड़ी के नाम पर बनाए जाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, इनमें से कई नियम प्रतिबंधात्मक उपायों के साथ आते हैं।’’ उदाहरण के लिए, नेपाली कानून में, इस कानून का यही प्रावधान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बाल तस्करी, मानव तस्करी और श्रम से संबंधित सामग्री को प्रतिबंधित करने का निर्देश देता है, जो असल में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।’’उन्होंने कहा, इसके दो मुख्य प्रावधान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लोगों को गुमनाम रूप से पोस्ट करने से रोकने का आदेश देते हैं।
‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ ने सोमवार को कहा कि इस तरह का व्यापक प्रतिबंध न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करता है, बल्कि पत्रकारों के काम और जनता के जानने के अधिकार को भी गंभीर रूप से बाधित करता है। ‘एन्क्रिप्टेड’ सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी प्रोटॉन के अनुसार, इस कार्रवाई से वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या वीपीएन के इस्तेमाल में तेजी आई है। कंपनी द्वारा ऑनलाइन पोस्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, नेपाल में प्रोटॉन की वीपीएन सेवा के लिए साइनअप में तीन सितंबर से 8,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वीपीएन एक ऐसी सेवा है जो उपयोगकर्ताओं को सेंसरशिप या प्रतिबंधों से बचने के लिए अपने स्थान की जानकारी गुप्त रखने की अनुमति देती है।