नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा के आयोजन में किसी की तरफ से ‘0.001 प्रतिशत लापरवाही’ भी हुई हो, तब भी उससे पूरी तरह से निपटा जाना चाहिए.न्यायालय ने कहा कि छात्रों को इन परीक्षाओं की तैयारी करते समय कठोर परिश्रम करना पड़ता है.उसने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातक स्तर)-2024 (नीट-यूजी, 2024) से संबंधित मुकदमे को विरोधात्मक नहीं माना जाना चाहिए.
पीठ मामले पर सुनवाई के दौरान कही ये बात
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं से कहा,’अगर किसी की ओर से 0.001 प्रतिशत भी लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए.’
कोर्ट ने मामले पर की ये टिप्पणी
पीठ गत 5 मई को हुई परीक्षा में छात्रों को कृपांक दिए जाने समेत अन्य शिकायतों से संबंधित 2 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.पीठ ने कहा-‘हम सभी जानते हैं कि छात्र विशेष रूप से इन परीक्षाओं की तैयारी करते समय कितना परिश्रम करते हैं.कल्पना कीजिए कि व्यवस्था से धोखाधड़ी करने वाला कोई व्यक्ति चिकित्सक बन जाए.वह समाज के लिए कितना अधिक घातक है.’
कोर्ट ने NTA के वकीलों से कही ये बात
पीठ ने NTA के वकीलों से कहा,’परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार एजेंसी का प्रतिनिधित्व करते हुए,आपको दृढ़ रहना चाहिए.अगर कोई गलती है, तो हां यह गलती हुई है और हम यह कार्रवाई करने जा रहे हैं.कम से कम इससे आपके कामकाज में विश्वास तो पैदा होगा.’
मामले पर 8 जुलाई को होगी सुनवाई
अधिकारियों द्वारा समय पर कार्रवाई करने पर जोर देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं पर अन्य लंबित याचिकाओं के साथ 8 जुलाई को सुनवाई होगी. इनमें वे याचिकाएं भी शामिल हैं जिनमें परीक्षा को नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.उसने कहा कि NTA और केंद्र इन नई याचिकाओं पर 2 सप्ताह के अंदर अपने जवाब दाखिल करेंगे.
जब कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रख रहे एक अधिवक्ता ने परीक्षा में पूछे गए एक प्रश्न से संबंधित मुद्दा उठाया तो पीठ ने कहा,’वे (एनटीए और केंद्र) इस पर जवाब देंगे.उसने कहा,’पहले हम आपकी दलीलों का मकसद समझ लें.इन मामलों में हम शाम तक बैठने को तैयार हैं.’
उच्चतम न्यायालय ने नीट-यूजी, 2024 में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका पर पिछले सप्ताह केंद्र एवं एनटीए से जवाब मांगा था.केंद्र और एनटीए ने 13 जून को शीर्ष अदालत को बताया था कि उन्होंने एमबीबीएस और ऐसे अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा देने वाले 1,563 अभ्यर्थियों को प्रदत्त कृपांक (ग्रेस मार्क) निरस्त कर दिए हैं.केंद्र ने न्यायालय को बताया था कि इन उम्मीदवारों के पास या तो पुन: परीक्षा देने या कृपांक हटाकर प्राप्त मूलांक के आधार पर परिणाम को स्वीकार करने का विकल्प होगा.