नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने प्रश्नपत्र लीक की चिंताओं के कारण विवादों से घिरी राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 परीक्षा को रद्द नहीं किया क्योंकि इसकी शुचिता में कोई प्रणालीगत चूक नहीं पायी गई है.
NTA को लेकर कही ये बात
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाए गए आदेश के विस्तृत कारणों में कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को अपना ढुलमुल रवैया बंद करना चाहिए क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है.
परीक्षा प्रणाली में कमियों पर 30 सितंबर तक मांगी रिपोर्ट
पीठ ने कई निर्देश जारी किए तथा NTA के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में केंद्र द्वारा नियुक्त समिति के दायरे का विस्तार किया.इसमें कहा गया है कि चूंकि समिति का दायरा बढ़ा दिया गया है, इसलिए समिति परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न उपायों पर अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर तक प्रस्तुत करे.
पीठ ने कही ये बात
पीठ ने कहा कि राधाकृष्णन समिति को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के मद्देनजर उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने पर विचार करना चाहिए.इसमें कहा गया है कि नीट-यूजी परीक्षा के दौरान जो समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, उन्हें केंद्र द्वारा दूर किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने परीक्षा दोबारा कराने की मांग को किया था खारिज
हाईकोर्ट ने 23 जुलाई को नीट-यूजी 2024 को रद्द कर दोबारा आयोजित कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा था कि इसकी विश्वसनीयता के व्यवस्थित तरीके से प्रभावित होने और अन्य गड़बड़ियों को दर्शाने वाली कोई सामग्री रिकॉर्ड में नहीं है.
बता दें कि 5 मई को 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) दी थी.देशभर के सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी परीक्षा आयोजित की जाती है.