Thursday, October 3, 2024
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MP Politics : बीजेपी में शामिल होंगे कमलनाथ!,सामने आ गई ये बड़ी वजह,कांग्रेस से की थी ये डिमांड

मध्य प्रदेश की सियासत में करीब चार साल बाद एक बार फिर महा पलटी की पटकथा लगभग तैयार दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने बेटे के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अगर, ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव से यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। ऐसा ही एक झटका 11 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को दिया था, जब वे 22 विधायकों के साथ कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए। इससे कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और भाजपा एक बार फिर सत्ता में आ गई थी.

भाजपा में शामिल होने के सवाल पर बोले कमलनाथ

जब एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्या वह संभावित बदलाव से इनकार नहीं कर रहे हैं, तो नाथ ने कहा, “यह इनकार करने के बारे में नहीं है, आप यह कह रहे हैं, आप लोग उत्साहित हो रहे हैं. मैं उत्साहित नहीं हो रहा हूं, इस तरफ या उस तरफ, लेकिन अगर होगा तो ऐसी कोई भी बात हो, मैं सबसे पहले आपको बताऊंगा.”

कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी कहा जाता है

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं, वह करीब 56 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी कहा जाता है। वे 1980 में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने थे। वे छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद चुने गए। उनके साथ एक नारा “इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमल नाथ” तक जुड़ा हुआ था. पटवारी ने बताया कि 1970 के दशक में नाथ और संजय गांधी की दोस्ती बहुत मशहूर थी. उन्होंने कहा कि नाथ दशकों से नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े रहे हैं और उन्हें पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के विश्वासपात्र रहे, जिनकी विचारधारा का वह समर्थन करते थे. उनके कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी अच्छे संबंध रहे हैं. कमलनाथ की पत्नी अल्का नाथ भी सांसद रह चुकी हैं, वर्तमान में उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से अभी सांसद हैं.

कमलनाथ की नाराजगी के बड़े कारण

विधानसभा की हार का ठीकराः मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। प्रदेश की 230 में से भाजपा ने 163, कांग्रेस ने 66 और भारत आदिवासी पार्टी ने एक सीट जीती थी। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ दिया

अचानक अध्यक्ष पद से हटायाः विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने एकाएक अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया। राहुल गांधी के करीबी रहे जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की बागड़ोर सौंपी गई। न तो कमलनाथ से रायशुमारी हुई और न ही उन्हें बताया गया और अचानक उन्हें बदलने का फरमान जारी हो गया। इससे भी कमलनाथ आहत हुए थे

केंद्र की राजनीति करना चाहते थेः कमलनाथ की सक्रियता हमेशा से केंद्रीय राजनीति में रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन्हें मध्य प्रदेश में भेजा गया था। जब सरकार चली गई तो लगा कि उन्हें फिर से दिल्ली बुला लिया जाएगा।

राज्यसभा टिकट नहीं मिलाः कमलनाथ राज्यसभा का चुनाव लड़कर केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बनना चाहते थे। उन्होंने कांग्रेस विधायकों के लिए एक डिनर भी रखा था। तब पार्टी ने मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए सोनिया गांधी को चुनाव लड़ने का आग्रह किया। जब सोनिया गांधी ने राजस्थान को चुना तो दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह को राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया गया। यह पूर्व मुख्यमंत्री को अच्छा नहीं लगा।

चुनावों में दिग्विजय सिंह से अनबनः विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा से आए कुछ विधायकों और पूर्व विधायकों के टिकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से भी कमलनाथ की अनबन हुई थी। कमलनाथ का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह टिकट मांग रहे नेताओं को कह रहे हैं कि जाकर दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो

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