Trump Tariff : कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि ‘ट्रंप (अमेरिकी राष्ट्रपति) के हमले से पस्त’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को भारतीय किसानों के सबसे बड़े हितैषी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी इस पर कोई भ्रम नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात पर भारत पर दोगुना शुल्क लगाए जाने के बाद मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि भारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि व्यक्तिगत रूप से उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन वह इसके लिए तैयार हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पांच साल पहले एक समय ऐसा भी था जब संसद में प्रधानमंत्री ने आंदोलन कर रहे किसानों का उपहास उड़ाते हुए उन्हें ‘आंदोलनजीवी’ कह दिया था। रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, तीन काले, किसान-विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन में 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए, लेकिन प्रधानमंत्री के मुंह से उनके लिए न दर्द, न अफ़सोस और न ही सहानुभूति का एक शब्द निकला। उन्होंने कहा कि किसान संगठन आज भी समूचे उत्पादन की लागत पर 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और ठोस कर्ज राहत की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने जगदीप धनखड़ के संदर्भ में कहा कि इन मांगों पर प्रधानमंत्री पूरी तरह से चुप हैं, जबकि इन्हीं मुद्दों को भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति ने भी उठाया था। उन्होंने दावा किया कि नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) व्यापार समझौते में भारत को शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार थे, जो भारतीय किसानों और डेयरी उत्पादकों को भारी नुकसान पहुंचा सकता था। रमेश ने कहा कि लेकिन कांग्रेस और किसान संगठनों के लगातार दबाव के चलते, आख़िरी वक्त पर प्रधानमंत्री मोदी को पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा, ट्रंप के हमले से पस्त प्रधानमंत्री मोदी खुद को भारतीय किसानों के सबसे बड़े हितैषी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी इस पर कोई भ्रम नहीं है।