जयपुर। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वालें है इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार रिपीट हो इसी को लेकर सीएम गहलोत हर संभव प्रयास कर रहे है. वहीं भाजपा भी पुरजोर कोशिस कर रही है. चुनावों को लेकर भाजपा के शीर्ष नेता लगातार राजस्थान के दौरे कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में पीएम सहित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ताबड़तोड़ जनसभाए की. पीएम ने जाटलैंड को साधने के लिए बीकानेर तो वहीं दौसा में जनसभा कर मीणा-गुर्जर वोटबैंक को साधने की कोशिस की.
सीएम गहलोत ने खेला ओबीसी आरक्षण का दांव
भाजपा के एक्टिव मोड़ में होने के बाद सीएम गहलोत ने भी अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओबीसी को छह फीसदी अतिरिक्त आरक्षण देने की घोषणा कर दी. सीएम गहलोत ने मानगढ़ धाम में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एससी-एसटी वर्ग के अलग-अलग संगठन भी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं. सरकार इसका भी परीक्षण करवा रही है. सीएम अशोक गहलोत खुद ओबीसी समुदाय से तालुक ऱखते हैं. पहले भी संख्या के आधार पर आरक्षण की मांग समय-समय पर उठती आई है. विपक्ष दल बीजेपी ने भी ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाकर गहलोत सरकार को कई बार घेरने के कोशिस की. सीएम गहलोतो ने जिस तरह ओबीसी आरक्षण की घोषणा उससे आने वाले समय में काग्रेंस सरकार आने का रास्ते कई फीसदी तक खुल गए. वर्तमान में ओबीसी के लिए BJP सबसे बड़ी पार्टी है. ओबीसी के लिए केंद्र में 27 फीसदी आरक्षण है तो कई राज्यों में इससे भी अधिक. राजस्थान में ओबीसी आरक्षण की सीमा केंद्र से भी कम थी और इसकी वजह से जो नाराजगी थी, उसे कम करने के लिए ही गहलोत ने ये दांव चला है.
प्रदेश में ओबीसी वर्ग में 90 से अधिक जातियां आती हैं. अनुमानों के मुताबिक राज्य में करीब 50 फीसदी ओबीसी वोटर हैं. कई सीटों पर ओबीसी वोटर्स की तादाद करीब 60 फीसदी तक होने की बात भी कही जाती है. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा की करीब सौ सीटें ऐसी हैं जहां जीत और हार तय करने में ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं.200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में विधानसभा की 59 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. इन सीटों का परिणाम तय करने में भी ओबीसी मतदाताओं की भूमिका अहम रहती है.